पीएचई विभाग के अफसरों के मुताबिक 2011 की जनगणना और 2013 के बेसलाइन सर्वे के दौरान प्रदेश में 10.31 लाख शौचालय अनुपयोगी पाए गए। ये शौचालय पिछली निर्मल भारत योजना के तहत बनाए गए थे। इनमें ऐसे शौचालय काफी बड़ी संख्या में हैं जो जर्जर हो चुके हैं और इनका अब इस्तेमाल बंद हो चुका है। इन शौचालयों की रिपेयरिंग कर फिर से इन्हें उपयोग लायक बनाया जा सकता है। ऐसा करने पर कम खर्च में 10 लाख से अधिक शौचालय प्रदेश में तैयार हो जाएंगे।
10 हजार खर्च करती है सरकार
एक शौचालय बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अब तक 10 हजार रुपए दिए जाते रहे हैं। अफसरों का मानना है कि अनुपयोगी पुराने शौचालयों को दो से 5 हजार रुपए तक खर्च करके फिर से उपयोगी बनाया जा सकता है।
नई योजना में बढ़ा दिया फंड
स्वच्छ भारत योजना के तहत पूरे देश को 1919 तक साफ सुथरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस योजना के तहत शत-प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। शौचालय बनाने के लिए नई योजना के तहत केंद्र सरकार ने 10 की जगह अब 12 हजार रुपए देने की तैयारी कर ली है।
– पुराने और अनुपयोगी शौचालयों को कम खर्च में उपयोगी बनाया जा सकता है। विभाग की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव स्वीकृत होने पर इन्हें सुधारने का काम शुरू होगा। स्वच्छ भारत योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए अब 12 हजार रुपए प्रति शौचालय दिए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग बड़ी योजना बना रहा है।
रामसेवक पैकरा, पीएचई मंत्री