आठ साल में आदिवासी विकास पर खर्च हुए 52,848 करोड़

रांची: झारखंड सरकार ने 2006-07 के बाद से लेकर
2013-14 तक आठ वर्षो में आदिवासियों के विकास के लिए 52,848 करोड़ रुपये
खर्च किये हैं.

योजना एवं विकास विभाग की ओर से
जारी किये गये आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले आठ वर्षो में जनजातीय उप
योजना (टीएसपी) के 14 जिलों और अनुसूचित जाति विशेष अंगीभूत योजना
(एससीएसपी) के तहत कुल 77077.75 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया था,
इसमें से 52848 करोड़ रुपये खर्च किये गये.

यह कुल
उपलब्ध करायी गयी राशि का 68.56 प्रतिशत है. 2013-14 में सरकार की ओर से
13795 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान आदिवासियों के विकास के लिए किया गया
था. पर कितनी राशि खर्च की गयी, इसका ब्योरा राज्य सरकार के पास नहीं है.
राज्य सरकार ने 2014-15 में टीएसपी जिलों में चलायी जानेवाली योजनाओं के
लिए 11680.28 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जबकि एससीएसपी योजनाओं के
लिए 2703.06 करोड़ रुपये रखे गये हैं.

सरकार की ओर से चलाये जानेवाले विकास कार्यक्रम

राज्य
सरकार की ओर से कृषि, ग्रामीण विकास, भूमि सुधार, कृषि विकास, पशुपालन और
मत्स्य पालन, जल छाजन कार्यक्रम, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, इंदिरा आवास
योजना, मनरेगा, महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह, बैकवर्ड रीजन ग्रांट
फंड, समेकित कार्य योजना, संविधान की धारा 275 (1), सिंचाई कार्यक्रम, गैर
परंपरागत ऊर्जा के स्त्रोतों का विकास, गांवों में खादी और ग्रामोद्योग का
विकास, खनन आधारित उद्योगों का विकास, वैज्ञानिक शोध, पर्यावरण संतुलन,
शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, पोषाहार कार्यक्रम, राष्ट्रीय पारिवारिक
लाभ योजना, सुरक्षा के कार्यक्रम, पोषाहार कार्यक्रम, स्वच्छता और
जलापूर्ति कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इन सभी योजनाओं के लिए विभागवार
अलग-अलग बजट का प्रावधान टीएसपी और एससीएसपी योजनाओं के लिए किया जाता रहा
है.

टीएसपी में आनेवाले जिले

राज्य
के 16 जिलों को जनजातीय उप योजनावाले जिलों में शामिल किया गया है. इसमें
रांची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, खूंटी, सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर,
चाईबासा, पलामू में चैनपुर प्रखंड, गढ़वा में भंडरिया प्रखंड, लातेहार,
दुमका, पाकुड़, गोड्डा में बोआरीजोर और सुंदरपहाड़ी, साहेबगंज और जामताड़ा
जिले शामिल हैं. एससीएसपी जिलों में राज्य के सभी जिलों को शामिल किया गया
है. इसमें आदिवासी, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ी जाति के लिए विशेष
केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है.

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