छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दस्तावेजों में ‘सेक्स’ नहीं, अब जेंडर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी दस्तावेजों में अब सेक्स के स्थान पर लिंग (जेंडर) लिखा जाएगा। इसमें ‘पुरुष’, ‘महिला’ के अलावा ‘तृतीय लिंग’ वर्ग का भी विकल्प दिया जाएगा। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की अनुशंसाओं के आधार पर तृतीय लिंग वर्ग के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए यह निर्णय लिया है।

राज्य सरकार के सभी विभागों, निगमों, मंडलों, शासकीय संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों के अधीन उनके सरकारी दस्तावेजों में सेक्स के स्थान पर लिंग यानी जेंडर लिखा जाएगा और ‘पुरुष’, ‘महिला’ के अलावा ‘तृतीय लिंग’ वर्ग का विकल्प दिया जाएगा। यदि कोई प्रारूप या प्रपत्र किसी विधि द्वारा निर्धारित किया गया हो तो उन नियमों में संशोधन किया जाएगा। सक्षम प्राधिकारी द्वारा तृतीय लिंग वर्ग के व्यक्तियों को जारी परिचय पत्र सभी कार्यालयों द्वारा मान्य किए जाएंगे। राज्य सरकार ने इस संबंध में सभी विभाग प्रमुखों, संभागीय कमिश्नरों, कलेक्टरों व जिला पंचायत के सीईओ को परिपत्र भेजकर शासन के निर्णय का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने कहा है।

सरकार ने सभी विभागों से तृतीय लिंग के व्यक्तियों को भी विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल 2014 को एक रिट याचिका का निराकरण करते हुए केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए हैं कि तृतीय लिंग के लोगों की दयनीय स्थिति को सुधारने और उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए उनको विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए।

बोर्ड भी गठित

राज्य सरकार ने तृतीय लिंग के व्यक्तियों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए अलग से बोर्ड गठित किया है। समाज कल्याण मंत्री इस बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव-सचिव इस बोर्ड के सदस्य बनाए गए हैं।

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