बासमती चावल बना कैंसर रोगियों की लाठी

जगदीश कुमार, जालंधर। पंजाब का बासमती चावल देश का अनाज भंडार भरने के साथ ही कैंसर रोगियों की पीड़ा हरने में भी सहायक साबित हो रहा है। बासमती से होने वाली कमाई का एक हिस्सा कैंसर रोगियों के इलाज खाते में जमा होगा। पंजाब सरकार मंडी में बासमती खरीद पर 0.25 सेस (उप कर) वसूल रही है।

राज्य सरकार को इस सीजन में बासमती से करीब 20 करोड़ रुपये सेस के माध्यम से मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष में जाने की उम्मीद है। इससे पहले सिगरेट पर मिलने वाले कुल टैक्स का 33 फीसद, राज्य सरकार की ओर से गठित सोसायटियां व ट्रस्ट, कॉर्पोरेशन, स्थानीय निकाय विभाग, नगर सुधार ट्रस्ट, पंचायती राज की संस्थाएं (अगर घाटे में न हों) की आमदनी का दो फीसद कैंसर राहत कोष को मिल रहा है।

पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन अजमेर सिंह लक्खोवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने किसानों को धान की खेती के लिए सुविधाएं दी हैं। इसके बदले में कैंसर रोगियों की सहायता के लिए फंड जुटाने का फैसला किया गया है। सरकार ने किसानों को मार्केट फीस व ग्रामीण विकास फंड में दो फीसद छूट दी है, वहीं खरीदारों को जल्द पेमेंट करने की हिदायतें दी हैं।

मंडी बोर्ड प्रशासन ने मिलने वाले सेस को जमा करवाने के लिए अलग से बैंक खाता खोला है। राज्य में हर कमेटी को इस खाते में रोजाना मिलने वाले सेस को जमा करवाने का निर्देश दिया है। पंजाब में इस बार बासमती का रकबा 20.40 लाख हेक्टेयर है और औसतन प्रति हेक्टेयर करीब 20 क्विंटल बासमती पैदा होती है।

गौरतलब है कि देश में पंजाब सबसे अधिक बासमती पैदा करने वाले प्रदेश है। इस साल करीब 35-36 लाख टन बासमती का झाड़ मिलने की आशा है। पिछले सप्ताह तक करीब 6-8 लाख लाख टन बासमती मार्केट पहुंची थी और 2-2.5 करोड़ रुपये सेस सेहत विभाग को सौंपी जा चुका है।

सेहत विभाग के डायरेक्टर डॉ. कर्णजीत सिंह की मानें तो पिछले पांच साल में करीब 33 हजार 500 लोग कैंसर की वजह से मौत का ग्रास बन चुके हैं। पंजाब में एक लाख की आबादी के पीछे 107 कैंसर रोगी है। राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख की आबादी में 80 मरीजों की दर आंकी गई है। राज्य सरकार ने एक नवंबर, 2011 को मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष स्थापित किया था।

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