25 करोड़ की योजना में लगे 10 अरब

पटना। विभागीय लापरवाही, लाल फीताशाही और लेटलतीफी के दलदल से निकलकर करीब चार दशक बाद दुर्गावती जलाशय परियोजना जनता की सेवा के लिए तैयार है। 10 जून 1976 को 25.30 करोड़ रुपये लागत के अनुमान के साथ शुरू हुई योजना पर अब तक आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और मुकम्मल तौर पर 1064.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना का उद्घाटन बुधवार 15 अक्टूबर को होगा।

रोहतास और कैमूर जिले को बिहार में धान का कटोरा कहा जाता है। इन जिलों से गुजरने वाली दुर्गावती नदी पर बांध बनाकर जलाशय और नहर प्रणाली तैयार हुई है। परियोजना के तहत निर्मित दाईं ओर की नहर 34.80 किलोमीटर, जबकि बाईं ओर की 22.60 किमी लंबी है। इससे दोनों जिलों की 33,467 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होगी।

बांध की भंडारण क्षमता 287.7 लाख घनमीटर है। गौरतलब है कि योजना के शुरुआती चरण में गुणवत्ता विहीन सामग्री का इस्तेमाल होने से निर्माणाधीन बांध बारिश में ध्वस्त हो गया था। इसके बाद से किसी न किसी कारण योजना लटकती रही और इसकी कीमत बढ़ती गई। 2012 में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद निर्माण पूरा कराया गया।

 

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