पांच फिजिशियनों के भरोसे छत्‍तीसगढ़ के 72 लाख आदिवासी

आवेश तिवारी, नई दिल्ली। पांच फिजिशियन और पांच महिला चिकित्सकों के भरोसे छत्तीसगढ़ के लगभग 72 लाख आदिवासियों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ांे स्र्पए के वार्षिक बजट और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के होते हुए भी आलम यह है कि यहां के आदिवासी इलाकों में बाल चिकित्सकों के स्वीकृत 82 पदों के सापेक्ष महज 8 चिकित्सकों की तैनाती हो पाई है। भारत सरकार की स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा देश के अलग अलग राज्यों में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा स्थिति को लेकर शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को बेपर्दा करती है।

राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या आवश्यक केंद्रों की संख्या से ज्यादा है, मगर आवश्यक सुविधाएं नदारद हैं। गौरतलब है कि राज्य के आदिवासी इलाकों में 2938 उपकेंद्र, 408 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 85 सामुदायिक स्वास्थय केंद्र हैं।

रिपोर्ट बताती है कि राज्य के आदिवासी इलाकों में स्थित उपकेंद्रों में जहां महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की तैनाती 90 फीसदी से भी ज्यादा है, वहीं पुरुष कार्यकर्ताओं के 3 हजार पदों में से लगभग आधे पद खाली पड़े हैं। अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगभग 408 चिकित्सकों की जरुरत के सापेक्ष केवल 165 चिकित्सक तैनात हैं।

इन इलाकों में मौजूद

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 96 सर्जन की स्वीकृत संख्या के सापेक्ष केवल 7 सर्जन और स्त्री रोग विशेषज्ञों की 85 की स्वीकृत संख्या के सापेक्ष केवल 5 की तैनाती हो पाई है। यही हाल फिजिशियनों का भी है। सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पद 358 हैं मगर इनमें से केवल 25 पद ही भरे जा सके हैं। चौंका देने वाली बात है कि राज्य के आदिवासी अंचलों में नर्सों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।

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