राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के कनविरन वीएम सिंह ने कहा, ‘किसानों के लिए यह बहुत बड़ी जीन है। अगर बैंकों को पहला अधिकार मिलता तो किसानों को पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, अगले साल ही किसानों को पैसा नहीं मिलता। अब चीनी मिलों को 31 अक्टूबर तक किसानों को पूरा पैसा देना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से बैंकों की ओर अटॉर्नी जनरल ने पक्ष रखा है उससे साफ जाहिर होता है कि मोदी सरकार किसानों से ज्यादा बैंकों का साथ दे रही है।’
एसबीआई और पीएनबी ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीनी कंपनियों का गन्ना किसानों पर 52.4 अरब रुपए का बकाया है। वहीं, दोनों बैंकों ने कहा है कि शुगर कंपनियों ने करीब 80 अरब रुपए का कर्ज लिया है। इस पर एसबीआई और पीएनबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यदि चीनी मिलों ने पैसा नहीं दिया तो एनपीए बढ़ जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसानों को बकाया पैसा नहीं मिला तो वे आत्महत्या करने पर विवश हो जाएंगे।
चीनी मिलों की हालत खराब
बैंक बनाम राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन मामले में उत्तर प्रदेश की 10 शुगर मिल्स पर लोन बकाया है। इनमें बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड, बलरामपुर चीनी मिल्स, सिर शदी लाल इंटरप्राइजेज लिमिटेड, उत्तम शुगर, सिम्भोली शुगर लि., त्रिवेणी इंजीनियरिंग इंडस्ट्री लि., डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्री, अवध शुगर मिल्स, अपर गंगेज शुगर मिल्स और गोविंद शुगर मिल्स शामिल हैं। मवाना शुगर ने खुद को डिफॉल्ट घोषित कर दिया है। मवाना ने 250 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट किया है।