कर्नाटक का बांस अब ग्‍वालियर संभाग में उगेगा

ग्‍वालियर (ब्यूरो)। कर्नाटक का बैम्बू (बांस) अब ग्वालियर संभाग में उगता हुआ नजर आएगा। ए ग्रेड के इस बैम्बू को तैयार होने में मात्र 2 साल का समय लगेगा। करीब 9 मीटर की ऊंचाई तक लंबा होने वाले इस बैम्बू का ग्वालियर संभाग के दतिया जिले में प्लांटेशन किया जा रहा है।

आमतौर पर मिलने वाले बैम्बू को पूरा आकार लेने में लगभग 5 से 6 साल का समय लग जाता है। इसकी वजह से संभाग में बैम्बू का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बैम्बू र्प्याप्त मात्रा में और समय से 3 साल पहले ही मिल जाएगा।

बालाघाट और उप्र से आता है बांस

वर्तमान में संभाग में बैम्बू बालाघाट और उत्तर प्रदेश से बाजार में आता है। इन जगहों से ही बाजार की बैम्बू डिमांड को पूरा किया जाता है। शहर में मिलने वाला बैम्बू लाठी बांस (कटंक) होता है। यह दूसरे और तीसरे दर्ज का बैम्बू होता है।

दतिया में सबसे पहले होगा प्लांटेशन

इस बांस का संभाग में सबसे पहले दतिया जिले में प्लांटेशन किया जा रहा है।

प्रायोगिक दृष्टि से इन बैम्बू प्लांट को एक एकड़ में लगाया जा रहा है। प्लांटेशन के संतोषजनक परिणाम आने के बाद इसे अन्य जिलों में प्लांट करने का कार्य आगे किया जाएगा।

एक एकड़ पर होने वाले इस प्लांटेशन पर वन विभाग द्वारा करीब 4 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।

इस बांस प्लांट के बीज (सीड) को कर्नाटक से मंगाया गया है, क्योंकि इस बांस के सीड का टिसू कल्चर यहीं तैयार हुआ है।

दतिया में लगाए जाने वाले बांस की किस्म कर्नाटक एवं तमिलनाडू में पाई जाती है। यह बांस अन्य बांस की तुलना में पूरा आकार लेने में कम समय लेता है। इस पूरी तरह से 2 साल में तैयार हो जाता है।

बैम्बू मिशन में दतिया भी

बैम्बू मिशन के तहत दतिया में 1 हेक्टेयर क्षेत्र में बैम्बू प्लांट लगाए जाएंगे। यह विशेष प्रकार के बैम्बू प्लांट है, जो दो साल में पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। इस किस्म का बैम्बू भारत के कनार्टक व तमिलनाडू राज्यों में पाया जाता है।

-राजेश कुमार, सीसीएफ ग्वालियर डिवीजन

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