गंगा को 956 फैक्ट्रियों ने किया मैला

aयूपी की 956 फैक्ट्रियां अपना औद्योगिक कचरा सीधे गंगा में छोड़ रही हैं जिससे नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। यह हकीकत यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की जांच में सामने आई।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद यूपीपीसीबी ने इन फैक्ट्रियों को नोटिस भेजकर ट्रिब्यूनल में पेश होने को कहा है। एनजीटी ने केंद्रीय व यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई कर नवंबर 2014 तक गंगा को प्रदूषणमुक्त बनाने को कहा है।

इस दौरान इन सभी फैक्ट्रियों का औद्योगिक कचरा पूरी तरह ट्रीटमेंट के बाद ही गंगा बेसिन तक छोड़ना सुनिश्चित करना होगा। कृष्णकांत सिंह की शिकायत के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी और यूपीपीसीबी को जांच के आदेश दिए थे।

सीपीसीबी ने जांच के बाद एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यूपी की 687 इकाइयों को गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषित करने का दोषी पाया।

वहीं, यूपीपीसीबी ने अपनी जांच के बाद 269 और नाम इस सूची में जोड़े। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों में चमड़ा से लेकर चीनी, डिस्टिलरी, पेपर उद्योग और स्लॉटर हाउस तक शामिल हैं।

यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव जेएस यादव ने बताया कि अब ट्रिब्यूनल ने यूपीपीसीबी और सीपीसीबी को संयुक्त रूप से कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत दोनों बोर्ड के अधिकारी इन इकाइयों का संयुक्त रूप से निरीक्षण करेंगे।

निरीक्षण रिपोर्ट और इकाइयों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा यूपीपीसीबी की वेबसाइट पर डाला जाएगा, ताकि फैक्ट्री संचालक अपनी कमियों को सुधार सकें। यही नहीं, रिपोर्ट में गड़बड़ी की शिकायत होने पर वे अपील भी कर सकेंगे।

जेएस यादव ने बताया कि इंडस्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी की शुद्धता को मापने के लिए अब मैन्युअल व्यवस्था खत्म कर ऑनलाइन ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इससे लखनऊ में बैठकर पूरे यूपी की नदियों में गिर रहे औद्योगिक कचरे की निगरानी हो सकेगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इलाहाबाद और वाराणसी में दो-दो और कानपुर में एक सिस्टम लगाया भी जा चुका है। इनकी सफलता के बाद शुरुआती चरण में 57 जगहों पर ऑनलाइन ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएंगे।

ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक कार्रवाई के लिए बनी कैटेगरी में चमड़ा उद्योग और डिस्टिलरी को सबसे खतरनाक माना गया है। एनजीटी ने सबसे पहले इन इकाइयों का कचरा नदी में गिरने से रोकने को कहा है।

इनसे हो रहा प्रदूषण
फैक्ट्री–संख्या
चमड़ा–461
शुगर यूनिट–128
डिस्टिलरी–55
डाई एंड टेक्सटाइल–79
मीट, स्लॉटर हाउस–28
सीमेंट–3
केमिकल–14

फर्टिलाइजर–8
फू ड एंड डेयरी–38
पेस्टिसाइड–2
पावर प्लांट–10
पेपर–87

सीईटीपी–4
इंजीनियरिंग–9
फार्मास्युटिकल–4
रिफाइनरी–1
बेवरेज–2
अन्य यूनिट–23

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