सूरत जिले के आंबोली गांव में स्थित सरकारी स्कूल में 26 एचआईवी पॉजिटिव छात्र-छात्राएं भी शिक्षा ले रहे हैं। इसके चलते पिछले एक साल में बाकी सारे बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। एक साल पहले एचआईवी पॉजिटिव बच्चों द्वारा एडमिशन लेने के बाद यह स्कूल मीडिया की सुर्खियों में रहा था। इसे एक अच्छी पहल करार दिया गया था, लेकिन इसकी सच्चाई धीरे-धीरे सामने आने लगी और आज यह स्कूल लगभग खाली हो चुका है।
कक्षा एक से सातवीं तक के इस शासकीय स्कूल में जहां एक साल पहले 236 बच्चे पढ़ते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर मात्र 28 ही रह गई है। इसमें भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चे ही हैं।
एडमिशन के समय भी हुआ था विवाद:
जून-2013 में इन एचआईवी पॉजिटिव बच्चों का एडमिशन सूरत की एक सामाजिक संस्था ने करवाया था। उस दौरान भी ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था। ग्रामीणों ने मांग भी की थी कि स्कूल में इन बच्चों को एडमिशन न दिया जाए, लेकिन उनकी एक न चली। इसके चलते ग्रामीणों ने ही धीरे-धीरे अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद करवा दिया। यह सिलसिला लगातार जारी रहा और आज पूरा स्कूल खाली हो चुका है।
एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की पीड़ा:
वहीं, जब एचआईवी पॉजिटिव कुछ छात्रों से बात की गई तो उनका दर्द भी सामने आया कि किस तरह उन्हें स्कूल में गंभीर अपमान का सामना करना पड़ता है। अन्य बच्चे उनसे बहुत दूरी बनाए हुए रहते हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन बच्चों के मन पर इस बात का कितना बुरा असर पड़ रहा है।