इन खेतों में या तो धान फूट रहे हैं या फिर गर्भ में आ चुके हैं. कनाली खेतों में लगभग धान पेट में आ चुके हैं. उन्हें एक बारिश का इंतजार है. गर्भ में आयी बाइलें बाहर आने के लिए छटपटा रही हैं. यह अलग बात है कि बिना पानी के भी वे निकल आयेंगी, लेकिन उसमें धान पुष्ट नहीं होंगे. एक चौथाई दाना ही उसमें पुष्ट पाये जा सकते हैं. इस संबंध में गोविंदपुर प्रखंड के मुर्राडीह के बुजुर्ग किसान अर्जुन मंडल बताते हैं कि धान की खेती के लिए सिंह नक्षत्र में बारिश बहुत जरू री नहीं है.
पूर्वा व कन्या में भरपूर बारिश चाहिए, जो इस साल हुई. धान की फसल को इसका सबसे मुख्य समय आश्विन माह में सर्वाधिक पानी चाहिए. इसके लिए हस्ती नक्षत्र (हथिया) में बारिश चाहिए. इस साल हथिया पार हो गया, लेकिन एक दिन भी ढंग से पानी नहीं पड़ा, इस कारण धान की फसलों में रंग फीका होता जा रहा है. फिलहाल स्वाति नक्षत्र चल रहा है. यदि इस नक्षत्र में भी पानी नहीं पड़ा तो धान की लहलहाती फसल नष्ट हो जायेगी. केवल कुछ धान बहाल खेत में ही आशा की जा सकती है, जो कोयलांचल में काफी कम संख्या में है.
यहां यह जानकारी हो कि इस साल जिला के हर प्रखंड में अच्छे ढंग से रोपाई भी नहीं हुई. सावन (बांग्ला पंचांग के अनुसार) के अंत में हुई बारिश में किसानों ने आधा से अधिक धनरोपनी की. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि धान इस साल होगा, लेकिन बीच-बीच में लगातार हो रही बारिश ने किसानों को उम्मीद जगायी, जो हथिया के नहीं बरसने से क्षीण होती जा रही है.