सरकार का यह फैसला पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग्रामीण इलाकों में निर्मित बड़ी संख्या में शौचालयों को लोगों ने मंदिर या गोदाम में परिवर्तित कर दिया है।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रमों को लागू करने की रणनीति के केंद्र में जनता के व्यवहार में शौचालय निर्माण व इस्तेमाल के प्रति परिवर्तन लाने की होगी। मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इस संबंध में निर्देश भेज दिए हैं। निर्देश में कहा गया,"शौचालयों के इस्तेमाल व लोगों के व्यवहार में परिवर्तन को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे इनकी मांग बढ़ेगी, जिसके बाद शौचालयों के निर्माण में तेजी आएगी।" इसमें यह भी कहा गया कि लोगों को स्वच्छता व साफ-सफाई के फायदे समझाने के लिए तकनीक व मीडिया का बेहतर इस्तेमाल भी किया जाना चाहिए।
गडकरी ने हाल ही में कहा था कि केवल शौचालयों के निर्माण से सरकार का 2019 तक स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं होगा। इससे पहले पिछले महीने उन्होंने कहा था कि खुले में शौच रोकने के लिए निर्मित तीन लाख शौचालयों में से केवल 10 हजार का ही लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, बाकी को गोदाम में परिवर्तित कर दिया गया है। मंत्री ने कहा था,"मुझे यह जानकर हैरानी हुई थी कि कई जगहों पर पानी न होने के कारण लोगों ने शौचालयों की बिल्डिंग में मंदिर बना लिए थे। इसीलिए मेरा कहना है कि बिना पानी के शौचालयों का निर्माण करने का कोई मतलब नहीं है।"