आदिम युग जैसी सुविधाएं, कहीं स्टोर रूम तो कहीं पेड़ के नीचे लगती है क्लास

अजमेर/जयपुर. राज्य में सरकारी स्कूलों पर खर्च बढ़ता जा रहा है, लेकिन स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। पांचवीं और आठवीं कक्षा वाले स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी टेबल नहीं हैं। शिक्षकों को भी कुर्सी बमुश्किल ही मिलती है। पेड़े के नीचे, बरामदे या ऊबड़-खाबड़ जमीन पर ही बैठाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। 5 हजार स्कूलों में टॉयलट नहीं है और 55 हजार स्कूलों में अब तक विद्युत कनेक्शन ही नहीं हुए हैं।

एक लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। कई स्कूलों में छात्र नहीं हैं तो कई जगह शिक्षक नहीं मिलते हैं। किसी स्कूल की छत नहीं है तो कहीं स्कूल भवन जर्जर हो रहे हैं। कक्षाओं में बारिश का पानी टपकता है। कई जगहों पर बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकारी स्कूलों में तो गांव के ही लोग चंदा करके शिक्षकों का इंतजाम कर रहे हैं।

स्कूलों के ऐसे हालात

जिन स्कूलों में एक से 15 तक बच्चों का नामांकन हुआ है, ऐसे 8164 स्कूल हैं, जिनमें 14655 शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इसी तरह जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या 16 से 30 ही है, ऐसे 19707 स्कूल हैं जिनमें 42150 शिक्षक पढ़ा रहे हैं। ये सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।

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