सरकारी बीजों ने फिर दिया धोखा, पहले बीज नहीं उगे, अब पौधे सूख गए

रायपुर. प्रदेश के किसानों को एक बार फिर से सरकारी बीजों ने धोखा दे दिया है। सरकारी एजेंसी बीज निगम ने किसानों को सोयाबीन जो बीज बांटे थे, उनसे पौधे तो अच्छे तैयार हो गए, लेकिन जब फल (फल्ली) लगने के समय अचानक पौधे सूख गए। ऐसी घटना एक-दो किसानों के खेतों में नहीं बल्कि राजनांदगांव, कवर्धा और बेमेतरा के सैकड़ों किसानों के खेतों में हुई है। खड़ी फसल सूखने से किसान परेशान हैं।

छत्तीसगढ़ कृषि एवं बीज विकास निगम ने राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) से सोयाबीन के बीज खरीदकर प्रदेश के किसानों को बेचे थे। इसमें से एक किस्म पीएस 1042 में खड़ी फसल सूखने की शिकायत आ रही है। साजा ब्लाक के मुंगलाटोला के किसान बालकिशन वर्मा, अशोक वर्मा, बोड़ के माखन वर्मा ने बताया कि उनके क्षेत्र के 81 किसानों ने इस बीज को 7600 रुपए क्विंटल की दर से खरीदा था। बीज से अंकुरण अच्छा आया, इससे पौधे भी घने तैयार हुए, लेकिन पिछले 15 दिन से पौधे सूखने की शिकायत आ रही है। पूरे खेत की फसल सूखने लगी है, जबकि अभी फल लगने की अवस्था है। इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है।

42 करोड़ का नुकसान

बीज निगम के मुताबिक पीएस 1042 किस्म के आठ हजार क्विंटल प्रमाणित बीज आए थे। इन्हें 24 हजार हेक्टेयर में बोया गया था। किसानों ने इन बीजों को 7600 रुपए क्विंटल की दर से खरीदा था। यानी छह करोड़ रुपए के बीज का सीधा नुकसान हुआ है। इससे औसतन लगभग एक लाख 20 हजार क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता, जिसकी कीमत लगभग 42 करोड़ रुपए होती। इस तरह किसानों को सीधा-सीधा 42 करोड़ रुपए के उत्पादन का नुकसान हुआ है।

पहले बीज नहीं उगे, अब पौधे सूख गए

बीज निगम व्दारा बांटे गए बीजों में इस साल भारी शिकायत आई। पहले बीजों के अंकुरण की समस्या आई। किसानों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की तो उन्होंने किसानों से बीज वापस लेकर नए बीज देने के निर्देश दिए। किसानों को नए बीज दिए गए, उनसे कहा गया कि इस बीज से बंपर पैदावार होगी। लेकिन अब पौधे सूख गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इस किस्म के बीज की अनुशंसा कृषि विभाग ने नहीं की थी। फिर भी बीज निगम ने इसे एनएससी से मंगा लिए।

ज्यादा बारिश का असर

सोयाबीन की यह किस्म पहली बार छत्तीसगढ़ में बोई गई। ज्यादा बारिश को यह किस्म बर्दाश्त नहीं कर पाई। कई जिलों से इसकी शिकायत आई है। किसानों को राहत देने के उपायों पर विचार किया जा रहा है। – प्रताप राव कृदत्त, कृषि संचालक

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