ताकि सब्सिडी किसानों तक पहुंचे
स्टेंडिंग कमेटी आॅफ पार्लियामेंट एग्रीकल्चर की 61 वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई। इस सिफारिश के बाद केंद्रीय कृषि मंत्रालय भारत सरकार के डिपार्टमेंट आॅफ एग्रीकल्चर एंड को-आॅपरेटिव क ज्वाइंट सेक्रेटरी पी.अहमद ने सभी राज्यों को इस संबंध में पत्र लिख कर गाइडलाइंस के मुताबिक ही केंद्र की सब्सिडी के प्रयोग की जानकारी दी हैै। जिससे किसानाें को इस सब्सिडी का पूरा लाभ मिल सके।
ये हैं गाइडलाइंस
ओपन मार्केट से टेंडर मंगाए जाएंगे। कोशिश होनी चाहिए कि टेडर में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी जिससे कम से कम दाम पर खरीदारी हो सके। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि बीज मान्यता प्राप्त एजेंसी से ही खरीदा जाए। इतना ही नहीं वह मान्यता प्राप्त एजेंसी भी जहां से बीज खरीद रही है, वह उत्पादक भी मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
अभी हो रहा है यह खेल
केंद्र की ओर से मिलने वाली सब्सिडी मेंं गड़बडी करने के लिए निगम महंगे दाम पर बीज खरीद लेते हैं। इसके बाद इस बीज को सब्सिडी देकर किसानों को बेच देते हैं। पर क्योंकि बीज पहले ही महंगा खरीदा गया, ऐसे में किसानों को इस सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पाता। यही खेल कुछ दवाओं की खरीद में भी हो रहा है। आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस मामले को उठाया था और सीबीआई जांच की मांग की थी। इतना ही नहीं उन्होंने स्टेट से भी मामले में उचित कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन स्टेट की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अलबत्ता उनकी रिपोर्ट पर स्टेंडिंग कमेटी आॅफ पार्लियामेंट एग्रीकल्चर की 61वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश जरूर की गई है।