छत्तीसगढ़ के किसान अपने खेतों में कीमती धान की प्रजातियां नहीं लगाते। यही वजह है कि पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। समर्थन मूल्य में धान बेचने सरकार व कोचियों का इंतजार करना पड़ता है। सरकार के खिलाफ आंदोलन व कोचियों से रेट के लिए झगड़ना पड़ता है, लेकिन कीमती धान की प्रजाति बासमती की 80 से 90 प्रतिशत खेती करने वाले हरियाणा व पंजाब के किसानों के धान को सरकार व निजी फर्म हाथोंहाथ 35 से 45 सौ रुपए प्रति क्विंटल में खरीदते हैं।
जिससे वहां के किसान काफी समृद्घ हैं। अब कृषि विभाग की आत्मा योजना छत्तीसगढ़ के किसानों को भी पंजाब व हरियाणा के किसानों की तरह समृद्घ बनाने के लिए बासमती बोने के लिए प्रेरित कर रही है। किसानों को अपने खेतों में बासमती की खेती करने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में पहली बार आत्मा योजना के तहत धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक से यह पहल शुरू की गई है।
कुरुद में 30 एकड़ में खेती
कृषि विभाग के अंतर्गत संचालित आत्मा योजना के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर एफएल पटेल ने बताया कि अब पंजाब व हरियाणा के समृद्घ किसानों की तरह प्रदेश समेत जिले के किसानों को बताने के लिए पहली बार एक नई पहल धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक से शुरू की गई है। अब तक छत्तीसगढ़ के कहीं भी किसानों ने बासमती की खेती नहीं की है। सिर्फ कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रदर्शनी के तौर पर कहीं-कहीं लगा है, लेकिन अब इस धान की कीमती फसल को धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक के आधा दर्जन गांवों से शुरूआत की गई है।
कुरूद ब्लाक के ग्राम परसवानी, उमरदा, नवागांव, कमरौद, बंजारी, खैरा, गुदगुदा के 30 एकड़ खेतों में बासमती पुसा सुगंध 05 वेरायटी का धान फसल लगाई गई है। ग्राम कमरौद के किसान निर्मल चंद्राकर, बंजारी के रामलाल साहू, खैरा के मनोज पटेल, बानगर के डोमन लाल साहू और नवागांव के धनेश्वर साहू ने एक्सटेंशन रिफार्म आत्मा योजना अंतर्गत पहली बार अपने खेतों में बासमती धान की फसल लगाई है। सुंगधित धान की गुणवत्ता को बचाए रखने के लिए समन्वित कीट प्रबंधन के तहत फेरोमोन ट्रेप , नीम आधारित कीटनाशक एजेडीरेक्टिन पद्घति से खरपतवार व बीमारियां दूर की जाती है। किसी तरह के जहरीले कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता। श्री पद्घति से रोपाई की गई है।
22 से 26 क्विंटल उत्पादन का अनुमान
आत्मा योजना के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री पटेल ने बताया कि इस प्रजाति की औसत उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 22 से 26 क्विंटल है। कुरूद ब्लाक के उत्पादित फसल को होंशगाबाद के दावतकंपनी को बिक्री के लिए बात चल रही है। किसानों के उत्पादित फसलों के सैंपल भेजे जाने के बाद ही खरीदी तय हो पाएगी। बताया जाता है कि बासमती के कीमती उत्पादित फसल को विदेश में भी निर्यात किया जाता है। किसानों के उत्पादित फसल महंगे दामों में बिक्री होने से 2 से 3 गुना मुनाफा होगा। यदि इस वर्ष बासमती की प्रदर्शनी जिले में सफल हो जाती है, तो आगामी वर्ष बड़ी तादाद में लघु अवधि वाले बासमती धान के किस्म 1121, 1506, 1509 को बोने के लिए प्रेरित किया जाएगा। लघु अवधि की यह फसल 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है।
बानगर में फार्म स्कूल संचालित
कुरूद ब्लाक के ग्राम बानगर में प्रगतिशील किसान डोमन लाल साहू के ढाई एकड़ खेत में श्री विधि से बासमती की प्रदर्शनी लगाई गई है। फार्म स्कूल के तहत गांव के अन्य प्रशिक्षु कृषक देवनाथ साहू, बिसाहूराम साहू, गुलाबी साहू समेत 25 किसान यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं। यहां कृषि विभाग के आत्मा योजना के वैज्ञानिक, ब्लाक टेक्नोलॉजी मैनेजर, अस्सिटेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षण में पौधों की रोपाई की श्रीविधि, 11 दिन की अवधि में रोपाई, 5 से 6 बार पैडी वीडर द्वारा गुढ़ाई की जानकारी दी जाती है। इस सिस्टम से उत्पादन में डेढ़ से दो गुना वृद्घि होती है। इसके अलावा प्रशिक्षण में खरपतवार प्रबंधन, कीट एवं रोग प्रबंधन एवं पोस्ट हारबेस्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि की जानकारी दी जाती है।