इस वर्ष जुलाई में प्राधिकरण ने 100 से ज्यादा दवाओं की कीमतें सीमित करने का निर्णय लिया था। दवा उद्योग ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया था। माना जा रहा है कि इसी के बाद सरकार ने यह कार्रवाई की है।
औषधि विभाग ने 29 मई को जारी उन दिशानिर्देशों को वापस ले लिया है, जिनके तहत राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) को ऐसी दवाओं के दाम तय करने के अधिकार दिए गए थे, जो जरूरी दवाओं की सूची में नहीं हैं। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन औषधि विभाग का एनपीपीए पर सीधा नियंत्रण है।
एनपीपीए ने जुलाई में एक नोटिस जारी करके गैर-जरूरी समझी जाने वाली 108 ऐसी दवाओं की कीमत सीमित कर दी थी, जो मधुमेह से लेकर एचआईवी और एड्स जैसी बीमारियों के इलाज में काम आती हैं। दवा उद्योग की लॉबी ने प्राधिकारण के इस फैसले को अदालतों में चुनौती दी हुई है।
लागू रहेंगे प्राधिकरण के पिछले फैसले
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि गैर-जरूरी दवाओं के दाम तय करने संबंधी प्राधिकरण के अधिकार वापस लेने का फैसला भावी आधार पर किया गया है। मतलब यह कि जुलाई में 108 दवाओं की कीमत निर्धारित करने के फैसले पर इसका असर नहीं होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘प्राधिकरण के कुछ अधिकार वापस लेने का फैसला आगे की तारीख से प्रभावी होगा, न कि पिछली तारीख से।’ मामले की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए अधिकारी ने नाम जाहिर करने से मना कर दिया।