लॉरेंस चैंडी के मुताबिक, इन गरीब लोगों को अर्थव्यवस्था से बाहर रखा गया है, जिसके कारण ये बदहाली का शिकार है। इन्हें असमय मौत और बीमारी घेर लेती है। गरीबी अमेरिका की अब मुख्य समस्या है। 46 मिलियन यानी 4.6 करोड़ लोग आधिकारिक रूप से गरीबी रेखा में आते हैं, जो रोज के 16 डॉलर पर जीवन जी रहे हैं। करीब 20 मिलियन (दो करोड़) लोग 8 डॉलर (480 रुपए) खर्च करते हैं। चैंडी ने यह आंकड़ें अपनी रिपोर्ट ‘पुअरेस्ट ऑफ पुअर’ में दिए हैं।
रिपोर्ट में चैंडी बताते हैं कि जनसंख्या का एक बड़ा तबका आमदनी, कल्याण और सामाजिक सेवाओं के बिना जीने को मजबूर है। विकसित देशों में गरीबी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां पर लोगों को उनके पैसे, नाम और उपनामों से पहचाना जाता है। जैसे, बिल गेट्स और वॉरेन बफे के सामने हम कम भाग्यशाली हैं। अमेरिका में राजनेताओं का ध्यान भी हमेशा मिडल क्लास पर होता है। उनकी धारणा है कि गरीबी अस्थाई होती है, जो लोग मेहनत कर रहे हैं वह समृद्ध भी बन रहे हैं। हालांकि बीती आधी सदी में गरीब से अमीर बनने की रफ्तार काफी सुस्त हुई है।
गौरतलब है कि जनवरी 2009 से दिसंबर 2011 के बीच में मंदी के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है। सेंसस ब्यूरो के आंकड़ें के मुताबिक, बीते दो महीने में 31 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे आ गई। हर तीसरे अमेरिकी के लिए अब गरीबी एक सच्चाई है।