नए शहरों में कमीं
रिपोर्ट के मुताबिक, शहरों के किनारे पर बस रहे नए शहरों की बसावट में कोई योजना नहीं है, इनके निर्माण में शहरी मानकों और कानूनों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। नए शहर अनियंत्रित विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि इनमें आधारभूत संरचनाओं की कमी है और सेवा क्षेत्र भी विकसित नहीं है। नए शहरों के विकास के लिए अगले बीस सालों में 827 बिलियन अमेरिकी डालर की जरूरत पड़ेगी, जिसका दो तिहाई केवल शहरी सड़कों और यातायात पर खर्च होगा।
वायु प्रदूषण बढ़ाएंगे नए शहर
रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक शहरी वायु प्रदूषण, वातावरण के नकारात्मक प्रभाव से होने वाली अकाल मौतों की प्रमुख वजह बनेगा। शहरी वायु प्रदूषण के बढ़ने की वजह से 2010 में 2001 से छह गुना ज्यादा मौतें (6,20000) हुईं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि चौतरफा फैलते शहरों की वजह से वातावरण में बढ़ रहे क्षरण से भारत की जीडीपी 5.7 फीसद तक घट रही है, इससे सालाना 80 बिलियन डालर का नुकसान हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब अगले सप्ताह दुनियाभर के नेताओं की क्लाइमेट समिट होने जा रही है।