नईदुनिया ब्यूरो, जयपुर। हाइपरटेंशन आमतौर पर शहरी बीमारी मानी जाती है, लेकिन राजस्थान में ग्रामीण महिलाएं भी इस बीमारी की शिकार हो रही हैं और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल में जारी वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2012-13 की रिपोर्ट बताती है कि दो साल में राजस्थान में हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या करीब तीन गुना और ग्रामीण महिलाओं की संख्या लगभग ढाई गुना बढ़ गई।
केंद्र सरकार की ओर से कराए जाने वाले वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2012-13 की रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से बदलती जीवनशैली के असर से पैदा होने वाला तनाव शहरों को ही नहीं बल्कि गांवों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इसके पीछे एक कारण गलत खान-पान भी है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010-11 में राजस्थान हाइपरटेंशन के मरीज एक लाख पर 277 थे जो दो साल बाद यानी 2012-13 में बढ़कर एक लाख पर 844 हो गए।
हाइपरटेंशन की बीमारी महिलाओं को ज्यादा सता रही है। राजस्थान के शहरी क्षेत्रो में प्रति एक लाख पर 1977 महिलाएं इस बीमारी की शिकार हैं, जबकि पुरूषों में यह संख्या सिर्फ 1257 ही है। ग्रामीण महिलाओं में यह संख्या 2010 में 233 थी जो दो साल बाद बढ़कर 724 ग्रामीण महिलाएं प्रति लाख पहुंच गई। ग्रामीण महिलाओं की संख्या में इस बढ़ोतरी को काफी अजीब भी माना जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार हाइपरटेंशन की समस्या से अजमेर, कोटा और पाली जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है जबकि राजधानी और प्रदेश का सबसे बड़ा शहर माना जाने वाला जयपुर इस मामले में इन तीनों से पीछे है। कोटा में इसके मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा प्रति लाख 1852 है जबकि पाली के ग्रामीण क्षेत्रों में हाइपरटेंशन के मरीज सबसे ज्यादा है।