दवा घोटाला: सरकार ने माना,ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से खरीदीं दवाएं

पटना: स्वास्थ्य विभाग ने इस साल जनवरी से सितंबर तक हुई 60.63 करोड़ की दवा खरीद में 14.4 करोड़ की गड़बड़ी मानी है. इसको लेकर बीएमएसआइसीएल के एमडी प्रवीण किशोर, स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार समेत 10 अधिकारियों से जवाब मांगा गया है. इनमें परचेज कमेटी के नौ सदस्य शामिल हैं.

तीन ब्लैकलिस्टेड कंपनियों में से दो मेडी पॉल (11.24 करोड़) व लेवोरट (8.36 करोड़) से दवा खरीदी गयी है. तीसरी कंपनी ओमेगा से कोई दवा नहीं खरीदी गयी है. बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक अनिल कुमार ने इसकी जानकारी दी.

इन्हें जारी किया गया नोटिस

प्रवीण किशोर, एमडी, बीएमएसआइसीएल

संजय कुमार, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य विभाग

सुरेंद्र प्रसाद, डायरेक्टर इन चीफ, स्वास्थ्य विभाग

ओम प्रकाश पाठक, डिप्टी डायरेक्टर, उद्योग विभाग

हेमंत कुमार, स्टेट ड्रग कंट्रोलर

डॉ विमल कारक, उपाधीक्षक, पीएमसीएच

डॉ डीके रमण, एडिशनल डायरेक्टर, स्टेट हेल्थ सोसाइटी

त्रिपुरारि कुमार, जीएम (फाइनाइंस एंड एकाउंट, बीएमएसआइसीएल

हैदर,यूएनएफपीए

परचेज कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य

48 घंटे में दोषियों पर होगी कार्रवाई : मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि दवा खरीद घोटाले में शामिल सभी पदाधिकारियों व फार्मा कंपनियों के खिलाफ 48 घंटे के अंदर कार्रवाई होगी. जांच रिपोर्ट की समीक्षा गुरुवार तक कर ली जायेगी और उनसे बाद जब फाइनल गड़बड़ी की बात आयेगी, तो उन पर कार्रवाई होगी. किसी भी अधिकारी को नहीं बख्शा जायेगा और उन पर सख्त-से-सख्त कार्रवाई होगी.

अधिक दर पर खरीदी गयीं 52 दवाएं
उन्होंने बताया कि मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया, जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक 14.4 करोड़ की 52 दवाएं अधिक दर पर खरीदी गयी हैं. इस खरीद में तीन ऐसी फार्मा कंपनियों को भी शामिल किया गया, जो पहले से ब्लैकलिस्टेड थीं. ऐसे में अब परचेज कमेटी के नौ सदस्यों से जवाब मांगा गया है. अगर उन पर मामला साबित होगा, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. बीएमएसआइसीएल के एमडी प्रवीण किशोर परचेज कमेटी में शामिल नहीं है. लेकिन, चूंकि दवा खरीद बीएमएसआइसीएल के जरिये होती है, इसलिए इसकी अंतिम जिम्मेदारी उनकी ही थी. इसके कारण उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा गया है. परचेज कमेटी की जिस बैठक में टेंडर को फाइनल किया गया था, उसमें कमेटी के दो सदस्य मौजूद नहीं थे, इसलिए उनसे जवाब तलब नहीं किया गया है.

ये थे जांच करनेवाले अधिकारी
डॉ केके सिंह (अवर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं ), डॉ मधुरेंद्र किशोर (संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं) , डॉ आबिद हुसैन (संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं) , डॉ सुभाष चंद्र राय (अनुज्ञापन प्राधिकारी) व रमेश कुमार (सहायक औषधि नियंत्रक)

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