रेल अफसरों के अनुसार नक्सली खतरे के कारण भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बिछ रही इस रेल लाइन के पहले चरण का काफी काम पूरा हो गया है। रेल लाइन कांकेर के करीब तक पहुंच गई है और वहां से नक्सलियों का खतरा और बढ़ गया है। इसके साथ ही घने वनों की बाधा भी शुरू हो गई। आगे की रेल लाइन वनों के बीच से गुजरेगी। इसके लिए काफी संख्या में पेड़ काटे जाने हैं।
सूत्रों के अनुसार जंगल की कटाई के लिए राज्य का वन विभाग पहले भी टेंडर जारी कर चुका है, लेकिन नक्सली खतरे की वजह से ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। अब वन विभाग ने भानुप्रताप वनमंडल में 13337 पेड़ों की कटाई के लिए 23 अगस्त को टेंडर जारी किया है। रेल अफसरों का कहना है कि यदि शीघ्र ही वनों की कटाई शुरू नहीं की गई तो अगले साल से रेललाइन का काम रुक जाएगा।
बीएसपी की जीवनदायनी
यह रेल परियोजना सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अफसरों के अनुसार बीएसपी को लौह अयस्क की आपूर्ति अभी दल्लीराजहरा से की जा रही है, लेकिन अब वहां ज्यादा भंडरा नहीं बचा है। इसी वजह से रावघाट के खदानों तक पहुंचने के लिए लाइन बिछाई जा रही है।
कटेंगे तीन लाख पेड़
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दल्ली राजहरा- रावघाट-जगदलपुर तक 235 किलोमीटर में 80 वन क्षेत्र हैं। इनमें करीब तीन लाख छोटे- बड़े पेड़ हैं। रेल लाइन के लिए इन्हें काटा जाएगा। बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई के कारण आदिवासी भी इसका विरोध कर रहे हैं।
फैक्ट फाइल
– 2028.79 हेक्टेयर भूमि में लौह अयस्क का भंडार
– 51.1 करोड़ टन लौह अयस्क
– 42 गांव होंगे प्रभावित
– 131 हेक्टेयर शासकीय भूमि
– 623 हेक्टेयर निजी भूमि
– 691 हेक्टेयर वन भूमि
– दल्ली राजहरा- रावघाट-जगदलपुर 235 किलोमीटर की परियोजना
– पहले चरण में दल्ली राजहरा-रावघाट 95 किलोमीटर का काम
– द्वितीय चरण में रावघाट-जगदलपुर 140 किलोमीटर का काम