राज्य में गुड गवर्नेंस है तो दिखना भी चाहिए, लोगों ने बताए कई किस्से

जयपुर. गुड गवर्नेंस है तो वह धरातल पर दिखनी भी चाहिए। यदि लीज मनी जमा कराने के 40 साल बाद भी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलता, प्रसव कराने के लिए पानी साथ लेकर जाना पड़ता है और ईमानदार कर्मचारी को दफ्तर में पोस्टिंग नहीं मिलती तो ऐसे में गुड गवर्नेंस पर संदेह होता है। सरकार के संभागीय स्तरीय दौरों को लेकर पिछले दो दिन से चल रही "भास्कर ऑडिट’ पर प्रदेशभर से कुछ इसी तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं।

"भास्कर ऑडिट’ पर प्रदेशभर से कुछ इसी तरह के किस्से लोगों ने मैसेज किए

नागौर जिले के डीडवाना का गडरिया बास गांव। 160 घर। 11000 केवी करंट वाली बिजली की लाइन के तार लटक रहे हैं। गांव में साठ साल से पानी नहीं है। दस कोस दूर चुगती और दौलतपुरा गांवों से पानी खरीदकर मंगवाया जाता है। एक टैंकर 500 रुपए में मिलता है।-अब्दुल रशीद

बीकानेर की लूणकरणसर तहसील का गांव झींझरवाली। पिछले दिनों सरकार इलाके में आई। मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसरों को पैरों में गिरकर बताया कि खेत में जाने का रास्ता नहीं है। फसल तक काट नहीं पाते। बच्चे और पशु भूखों मर रहे हैं।
-तोलाराम शर्मा

20 साल से पानी नहीं : बाड़मेर का बिशाला गांव। आदर्श बस्ती और पुरोहितों की ढाणी इलाका। पिछले 20 साल से पीने के पानी सुविधा नहीं। पांच किमी. दूर से लाना पड़ता है पानी।-उदयसिंह

अफसर आए, मांगें अनसुनी : प्रतापगढ़ जिले के अरणोद का वीरवली गांव। अफसर आए। स्कूल के अतिक्रमण, बंद पड़े हैंडपंप और शिक्षकों के सुधार की मांग अनसुनी कर गए। -करणसिंह मालवीय

खैरवाड़ा के केसरिया जी का हूं। पांच साल से बेड पर हूं। तीन बच्चे हैं। कमर के मणके चले गए हैं। पांव काम नहीं करते। बीपीएल भी हूं। विधायक, अफसर, सरपंच, पटवारी सबसे मिल लिया। कोई पेनकिलर तक नहीं देता। -किशन मेघवाल

जिले में फाइलों की सुचारू व्यवस्था के लिए प्रभारी बिठा दिया जाना चाहिए। कहीं देरी होती है उसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। -याेगेश

मेरा नाम राकेश व्यास है तथा मैं हाउसिंग बोर्ड का एक अनुशासित कर्मचारी हूं। मैं न पैसा खाता हूं न खाने देता हूं, ईमानदारी से सारे काम करना चाहता हूं इसलिए मुझे कोई काम नहीं दिया जाता। जब भी कोई अधिकारी मुझे काम दे देते हैं तो बाकी विरोध करते हैं। आज जनता सरकारी दफ्तरों में सरकारी कर्मचारियों के रवैए और भ्रष्टाचार से परेशान हैं। मैं ईमानदार आदमी हूं, किसी से एक पैसा रिश्वत नहीं लेता तो फिर मुझे काम क्यों नहीं दिया जाता।

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