ये दाम पिछले 12 साल से नहीं बढ़े हैं। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय जल्द ही इस बारे में फैसला लेगा। उधर, चीनी पर आयात शुल्क बढ़ने और नए सीजन में पेराई से कई चीनी मिलों के इनकार के बाद खुले बाजार में भी चीनी महंगी होने के हालात बन रहे हैं।
चीनी उद्योग से कई नियंत्रण हटने के बाद राज्यों को पीडीएस के लिए खुले बाजार से चीनी खरीदनी पड़ती है, जिसके लिए केंद्र 32 रुपये प्रति किलोग्राम की एक्स फैक्ट्री प्राइस के आधार पर राज्यों को अधिकतम 18.5 रुपये की सब्सिडी देता है। लेकिन खुले बाजार से कई राज्यों की खरीद 35-37 रुपये तक बैठती है। यही राज्यों की परेशानी का सबब है।
खाद्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गुजरात, केरल और राजस्थान जैसे कई राज्य लंबे समय से पीडीएस चीनी के दाम तय करने की छूट मांग रहे हैं। यह मामला यूपीए के समय से लंबित है। राज्य सब्सिडी के लिए तय 32 रुपये का रेट भी बढ़वाना चाहते हैं।
यह रेट सितंबर, 2014 तक के लिए निर्धारित हुआ था, जिसकी जल्द ही समीक्षा की जाएगी। गैर गन्ना उत्पादक राज्यों का दबाव
पीडीएस चीनी की दरें तय करने के लिए गैर-गन्ना उत्पादक राज्य दबाव बना रहे हैं।
केंद्र ने अधिकतम 32 रुपये की एक्स फैक्ट्री प्राइस तय की है, जबकि ढुलाई खर्च, परिवहन लागत आदि मिलाने से मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल जैसे राज्यों की चीनी खरीद 35-37 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ रही है। इसलिए राज्य चाहते हैं कि केंद्र अपनी 18.5 रुपये की सब्सिडी को कायम रखते हुए राज्यों को पीडीएस चीनी के दाम तय करने की छूट दे।