एक मुट्ठी चावल से बनी एक करोड़ की पूंजी- मो. इमरान खान

मो. इमरान खान, नारायणपुर। जिले के किसानों ने घर-घर से एक-एक मुट्ठी चावल जुटाकर आठ साल में करीब एक करोड़ रुपए की पूंजी बना ली है। इस रकम से वे न केवल खेती और पशुपालन के लिए कर्ज लेते हैं बल्कि समिति से बाहर के किसानों को भी कर्ज देते हैं।

यह मुहिम 2006 से शुरू हुई। शुरू में हर परिवार की महिला रसोई से रोजाना एक मुट्ठी चावल समिति के लिए अलग कर देती थी। सभी परिवारों से एकत्र चावल समिति के पास आ जाता था। इसे समिति बेचती थी या फिर इसे जरूरतमंद को देती थी। चावल लेने वाला व्यक्ति तय समय में इसे लौटा देता था। इस तरह इन समितियों के पास नगद बढ़ने लगा। रामकृष्ण मिशन ने यह जागरूकता पैदा की और स्वामी विवेकानंद ग्राम सेवा समिति के नाम से संगठन तैयार किया।

इन समितियों में ज्यादातर किसान अनुसूचित जनजाति के हैं। समिति के सदस्य स्वयंसेवी की तरह कार्य करते हैं और इनमें महिलाओं की बड़ी हिस्सेदारी है। रामकृष्ण मिशन की किसानों में जागरूकता का नतीजा यह हुआ कि आठ साल में एक-एक समिति के पास पचास हजार रुपए से दो लाख रुपए तक जमा हो गए। अभी जिले में ऐसी 78 समितियां हैं। अभी इन समितियों में 1280 सदस्य हैं। सीतापाल गांव के किसान तातूराम बताते हैं कि उनकी समिति में पचास हजार रुपए से अधिक की राशि है। वे बताते हैं कि समिति का मकसद अपनी आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं है।

ये एक प्रकार से मददगार संस्था है जो जरूरतमंद किसानों को कर्ज देती है। समिति कृषि एवं इससे जुड़े कारोबार को बढ़ाने प्रयासरत है और इसके लिए ही कर्ज दिया जाता है। डेयरी, पशुपालन, मछलीपालन एवं मुर्गी-बत्तख पालन भी समिति करवाती है। ये रामकृष्ण मिशन की प्रेरणा का परिणाम है। मिशन की ओर से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहता है। इसके लिए समय-समय पर विशेषज्ञ आते हैं। गढ़बेंगाल गांव के किसान अल्ताफ सिंह ने बताया कि उनकी समिति में करीब एक लाख रुपए है।

समिति की ओर से ना केवल अपने सदस्यों को ही कर्ज दिया जाता है बल्कि दूसरे किसानों को भी कर्ज दिया जाता है। फर्क यह है कि सदस्यों से पांच फीसदी ब्याज लिया जाता है जबकि दूसरे किसानों से दस फीसदी। एक अन्य महिला सदस्य ने बताया कि जरूरत पड़ने पर बैंक या साहूकारों से कर्ज लेने की नौबत नहीं आती है। समिति की पूंजी उन्होंने ही खड़ी की है और इसे बढ़ाना भी उनका फर्ज है। समिति का पैसा नहीं डूबता है।

गजब की जागरूकता आई

‘किसानों में गजब की जागरूकता आई है। वे समिति की गतिविधियों का संचालन खुद करते हैं। उन्हें मार्गदर्शन दिया जाता है। इसके लिए हर माह ब्रेहबेड़ा में किसान प्रशिक्षण केंद्र में उनकी बैठक होती है। समितियों की गतिविधि से किसानों में समृद्धि आई है।’

-एमडी बैस, वरिष्ठ कृषि अधिकारी, किसान प्रशिक्षण केंद्र ब्रेहबेड़ा

रामकृष्ण मिशन आम, नारायणपुर

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