दिल्ली के 12 प्रतिशत घरों में अब भी शौचालय नहीं

पेशाब में संक्रमण (यूटीआई) की शिकायत लेकर पहुंचने वाली 34 प्रतिशत महिलाओं में इसकी वजह अस्वच्छ शौचालयों को बताया गया है। इसमें से अधिकांश महिलाएं दिन में दो से तीन बार सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं। जबकि दिल्ली के 12 प्रतिशत घरों में अब भी शौचालय नहीं है।

इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉं. राजेश तनेजा ने बताया कि यूटीआई की शिकायत छह महीने से 60 तक की महिलाओं में देखी जा रही हैं। ओपीडी के फॉलोअप में दी गई जानकारी के मुताबित यूटीआई की शिकार अधिकांश महिलाएं अस्वच्छ माहौल में शौच करने को मजबूर है।

एक महिला ने नाम ने बताने की तर्ज पर बताया कि वह दिनभर में केवल एक बार इसलिए खाती है क्योंकि उसके घर में शौचालय नहीं है। जबकि पेशाब के लिए भी वह घर के ही स्नानघर का इस्तेमाल करती है। डॉं. राजेश ने बताया कि एक सार्वजनिक शौचालय में अमूमन एक शौच की सीट को दिनभर में 50 से 70 महिलाएं इस्तेमाल करती हैं, जिसकी वजह से संक्रमण बढ़ता है।

क्या है यूटीआई: पेशाब के रास्ते में जलन होना, रूकरूक पर पेशाब आना या फिर पेशाब का अनुभव होना और न होना यूटीआई के लक्षण हो सकते हैं। संक्रमित शौच सीट का संक्रमित महिला द्वारा प्रयोग करने से संक्रमण एक महिला से दूसरी महिला में हो सकता है। यूटीआई का इलाज न होने पर यह ल्यूकिमिया में बदल सकता है, जबकि संक्रमण का असर किडनी को भी खराब कर सकता है।

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