अदालत ने इसके साथ ही गंगा नदी की सफाई की कार्ययोजना के बारे में दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का केंद्र को निर्देश देते हुए इसकी सुनवाई
स्थगित कर दी। न्यायाधीशों ने टिप्पणी की- आप कहते थे कि इस मामले में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। अब क्या आपको कोई जल्दी नहीं है। आप दो मंत्रालयों के बीच इस मामले को घुमा रहे हैं। सफाई परियोजना चरणों में की जानी चाहिए क्योंकि एक बार में ऐसा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने सुझाव दिया कि शुरू में सरकार को एक सौ किलोमीटर नदी की सफाई करनी चाहिए। उसके बाद अगले हिस्से की सफाई का काम हाथ में लेना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त को केंद्र सरकार के अनुरोध पर इसकी सुनवाई स्थगित कर दी थी। अदालत लंबे समय से गंगा नदी की सफाई के अभियान की निगरानी कर रही है और इस बारे में अदालत में कई आवेदन दायर किए जा चुके हैं। गंगा नदी को प्रदूषणमुक्त कराने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर शीर्ष अदालत 1985 से सुनवाई कर रही है। गंगा सफाई अभियान को लेकर कई बार अदालत ने सरकार और प्रशासन की तीखी आलोचना भी की है। गंगा नदी की सफाई के लिए 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी अति महत्त्वाकांक्षी ‘गंगा कार्य योजना’ शुरू की थी। देश में 2500 किलोमीटर लंबी गंगा नदी 29 बड़े शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 कस्बों से गुजरती है