छात्र राजेश विक्रम, किशन पंखा, अनिल महेन्द्र आदि ने बताया कि सुबह पोहे खाने के बाद चक्कर आने लगे और उल्टियां शुरू हो गई। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. दुर्गा पंवार व कम्पाउंडर एच शेख ने उपचार किया। इसके बाद सभी के स्वास्थ्य में सुधार है।
डॉ. पंवार छात्रावास भी पहुंची और कच्चे पोहे का सेम्पल लिया। छात्रावास अधीक्षक भंवरसिंह वास्कले का कहना है कि यहां 4थी से 8वीं तक कक्षा लगती है और 90 बच्चे रहते हैं। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है।
बीएमओ डॉ. केके नीमा का कहना है कि पोहे अधिक पुराने होने या तेल खराब होने से ऐसा हुआ होगा। पके हुए पोहे मिलते जांच में कारणों का पता शीघ्र लग सकता था। -निप्र