एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट सभागार में आयोजित खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर परिचर्चा में पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होने अपने कार्यकाल में इस दिशा में बड़े काम किये. मौजूदा सरकार भी कर रही लेकिन, गड़बड़ियों को दूर करना अभी भी चुनौती है.
नीतीश कुमार ने कहा, आठ साल तक सत्ता में रहे. दो साल बाढ और कई बार सूखे का सामना. इस साल भी सूखे की सिथति बनी हुई . सूखा घोषित क रना पड़ सकता हे. जब खाद्य सुरक्षा बन रहा था तो बिहार ने भी अपने सुझाव दिये थे. उनमे कुछ माने गये और कुछ करना पड़ा. पहले कृषि रोड मैप में स्टोरेज और वितरण सुधरने के लिए काम किया था. दूसरे कृषि रोड मैप में उत्पादन बढाने पर जोर है.
जमीन की उर्वरता और सड़कों के निर्माण पर जोर दिया गया है. इससे मदद मिलेगा. डोर स्टेप डिलेवरी के 200 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. अनाज लदी गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगा. इससे उनकी निगरानी हो रही है. केंद्र सरकार को यह खर्च उठाना चाहिये. नीतीश ने कहा, पांच किलो प्रति व्यक्ति या 25 किलो प्रति परिवार से पूरा काम नहीं चलेगा. लेकिन, काफी हद तक स्थिति सुधरेगी.
इसे लीक प्रुफ बनाना चाहिये. डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के उपाय खोजे जाने चाहिये. स्वतंत्र आयोग बने लाभुकों की पहचान के लिए, पहले भी यह सुझाव केंद्र को दिया था. सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर लाभुकों के चयन में भी कहीं कहीं गड़बड़ियां निकल आ रही है. इसमें सुधार होना चाहिए.