न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने कहा, ‘‘हमारी चिंता बिल्कुल स्पष्ट है और हम बिना किसी नियमन के ऐसे ई-रिक्शा के परिचालन की अनुमति नहीं दे सकते।”
दिल्ली सरकार और केंद्र की तरफ से पेश होने वाली अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आंनद ने कहा कि मुद्दा करीब 50,000 ईरिक्शा मालिकों की रोजी रोटी से जुड़ा हुआ है और दिल्ली पुलिस तथा निकाय एजेंसियों की निगरानी में उन्हें चलाने की अनुमति दी जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी भी अवैध कृत्य की अनुमति नहीं देंगे। आप हमें दिखाइये कि किस दिशानिर्देश या नियमों के तहत पुलिस उनका नियमन करेगी। समुचित नीति होने पर ही हम इन्हें चलाने की अनुमति दे सकते हैं क्योंकि कानून के नियमों का पालन होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, ‘‘हम भी खुश नहीं है लेकिन हमे देश की राजधानी में अराजकता की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जो देश के सभी शहरों के लिए एक आदर्श शहर के तौर पर होना चाहिए।”
(भाषा)