छात्र-छात्राओं के लिए पीतल का बर्तन ही एकमात्र सहारा होता है। वे इसमें अपने कपड़े, बैग आदि बर्तन में रखते हैं, ताकि ये सब भीगने से बच जाएं। नदी पार करने के बाद लड़के तो अपना ड्रेस पहन लेते हैं, लेकिन छात्राओं के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है। उन्हें भीगे कपड़े में स्कूल में बैठना पड़ता है।
आश्वासन देकर भूल गईं मुख्यमंत्री आनंदी पटेल
स्कूल जाने के लिए बच्चों को 4-5 किलोमीटर की दूरी और तय करनी पड़ती हैं। यदि नदी पर पुल बन जाता है, यह दूरी एक किमी ही रह जाएगी। तीन साल पहले वर्तमान मुख्यमंत्री और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आनंदी पटेल जब नर्मदा जिले की दौरे पर गईं थी, तब उन्होंने पुल निर्माण का आश्वासन भी दिया, लेकिन गांधीनगर पहुंचने के बाद भूल गईं।
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