प्रदेश में ऊर्जाधानी के नाम से पहचान बनाए कोरबा जिले में ही दिया तले अंधेरा वाली कहावत चारितार्थ हो रही है। 6 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पन्न करने के बाद भी शहर की कई बास्तियां ऐसी हैं, जहां अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। खास बात यह है कि शासन ने भी योजना बनाई थी कि संयंत्र से पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित बस्तियों में बिजली पहुंचाई जाएगी। कोरबा में इस नियम का कितना पालन हो रहा है, इसका खुलासा नगर निगम के वार्ड क्रमांक 12 अंतर्गत ओएस कालोनी तथा चेकपोस्ट डबरीपारी बस्ती में होता है। इन दोनों बस्ती में पिछले कई वर्षों से बिजली नहीं पहुंच सकी है। ओएस कालोनी में विद्युत कंपनी के लगभग 40 विभागीय आवास हैं, वहीं 150 से ज्यादा झोपड़िया बनी हुई है। पूर्व में इन आवासों में विभागीय कर्मी निवासरत थे, लेकिन सेवानिवृत्त उपरांत इन आवासों में बाहरी लोग निवासरत हैं। विद्युत कंपनी द्वारा भी इन आवासों की कोई सुध नहीं ली जाती है। हालांकि इन आवासों में पूर्व संयंत्र से बिजली दी गयी थी, लेकिन बाद में बिजली भी काट दी गई। अब स्थिति यह है कि बस्ती में स्थित किसी भी आवास में भी बिजली नहीं दी गई है। बस्तीवासियों ने बिजली हेतु लगभग तीन वर्ष पूर्व फार्म भर कर 500 शुल्क के साथ वितरण विभाग में जमा कर दिया है। नगर निगम ने भी डिमांड नोट जमा करा दिया। इसके बावजूद बस्ती में बिजली नहीं पहुंच सकी है। बस्तीवासियों को तीन वर्ष से बिजली का इंतजार है और बिजली कब तक पहुंचेगी, इस बारे में बस्तीवासियों का कहना है कि मीटर कनेक्शन के साथ बिजली अब सपना बन गया है। यही स्थित चेकपोस्ट डबरीपारा बस्ती की भी है। यहां लगभग 60 मकान बने हुए हैं। इन मकानों में भी अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है और बस्तीवासियों ने भी फार्म भर कर शुल्क सहित वितरण विभाग में जमा कर दिया है।
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150 मीटर खींचा गया तार
बस्ती में निवासरत कुछ लोगों द्वारा बिजली लेने हेतु लगभग 150 मीटर दूर बस्ती से तार खींचा गया है, लेकिन उससे भी पर्याप्त बिजली नहीं मिलती है। हवा-आंधी चलने की वजह से अक्सर तार टूट जाते हैं। दुर्घटना की भी संभावना लगातार बनी रहती है। अवैध बिजली होने की वजह से कानूनी कार्रवई का भी भय बना रहता है।
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क्या है नियम
शासन द्वारा विद्युत संयंत्रों के समीप बिजली पहुंचाने की योजना तैयारकी थी, जिसके तहत संयंत्र के आसपास 5 किलोमीटर दायरे में स्थित बस्ती या कस्बे में बिजली देना था। शासन की यह योजना सिर्फ कागजों में ही चल रही है और वास्तविकता से काफी दूर है। यही वजह है कि बालको एवं विद्युत कंपनी के विद्युत संयंत्र के मध्य स्थित बस्ती में अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है।
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फोटो नंबर-3केओ5- बालको की रेल लाइन ।
रेलवे लाइन बनी बाधा
ओएस कालोनी जहां स्थित है, उसके समीप ही बालको की रेलवे लाइन बिछी हुई है। इस रेल लाइन के दूसरी ओर विद्युत कनेक्शन दिया गया है। इस कालोनी में बिजली देने के संबंध में कहा जाता है कि रेल लाइन पार करना है और यह मुश्किल है। इसके लिए रेलवे से एनओसी लेना पड़ेगा। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि रेल लाइन बालको की है और एनओसी रेलवे से मांगा जा रहा है।
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क्या कहते हैं बस्तीवासी
फोटो नंबर-3केओ6- सगन ।
बिजली कनेक्शन हेतु तीन साल पहले फार्म भर कर 500 रुपए के साथ जमा किया गया था। अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है। कभी निगम तो कभी बिजली विभाग के अधिकारी आश्वासन देते हैं कि मीटर लग जाएगा। अभी तक न तो मीटर नहीं लगाया गया है और न ही कनेक्शन दिया गया।
– सगन देवी
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फोटो नंबर-3केओ7- जमुना ।
बिजली नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार शिकायत की गई और महापौर से भी चर्चा की गई। महापौर ने भी छह माह के भीतर बिजली देने कहा था। एक वर्ष बीत चुका है अभी तक न तो खंभा लगा और न ही बिजली दी गई। बिजली नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
– जमुना चौहान
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फोटो नंबर-3केओ8- गोपाल ।
मीटर देने की कार्रवाई शुरू होने पर बस्ती में निवासरत लोगों ने फार्म भरने के साथ ही शपथ पत्र व शुल्क भी जमा करा दिया। पहले बिजली देने का आश्वासन देते रहे, अब कहा जा रहा है कि रेल लाइन होने की वजह से बिजली नहीं दी जा सकती है। जान बूझकर बस्तीवासियों को अंधेरे में रखा जा रहा है।
– गोपाल चौहान
वर्सन
बस्ती में निवासरत लोगों को विद्युत कनेक्शन हेतु निगम द्वारा डिमांड नोट जमा किया जा चुका है, बस्तीवासियों ने मीटर हेतु फार्म भर कर शुल्क कर दिया। मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली प्रदान किया जाना था। निगम व वितरण विभाग द्वारा उपेक्षा की जा रही है, इसीलिए अभी तक विद्युत कनेक्शन नहीं मिल सका है।
– मुकेश राठौर, पार्षद, वार्ड क्रमांक 12
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ओएस कालोनी में बिजली नहीं पहुंची है, इसकी जानकारी मिली है। बिजली क्यों नहीं पहुंची, इस बारे में सोमवार को ही स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है। अवकाश होने से मामले की जानकारी नहीं मिल पाएगी।
– एके भारद्वाज, कार्यपालन यंत्री, सिटी डिवीजन