अगले महीने से स्वाइन फ्लू की दवाएं मिलना मुश्किल!

भोपाल (नप्र)। प्रदेश में स्वाइन फ्लू की दस्तक के बीच चिंता की बात यह है कि अगले महीने से अस्पतालों में इसकी दवा (टेमी फ्लू) मिलना मुश्किल है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने दवा देने से हाथ खींच लिए हैं। वहीं पिछले सालों में आई दवाएं इसी महीने एक्सपायर हो रही हैं। यही नहीं बड़ी दिक्कत ये भी है कि बाजार में स्वाइन फ्लू की दवाएं नहीं मिल रही हैं।

इधर विशेषज्ञों का कहना है अगस्त-सितंबर में स्वाइन फ्लू के मरीज बढ़ सकते हैं, क्योंकि इस समय का मौसम (तापमान और आद्रता) किसी भी वायरस की बढ़त के लिए सबसे अच्छा होता है। गौरतलब है कि दो दिन पहले इंदौर के अरविंदो अस्पताल में स्वाइन फ्लू से एक की मौत हो चुकी है। दो महीने पहले भी इंदौर के बांबे अस्पताल में स्वाइन फ्लू से एकव्यक्ति की जान चली गई थी।

दवा खरीदी के लिए पत्र

प्रदेश में 75 एमजी की दवाएं महीने भर पहले ही एक्सपायर हो चुकी हैं। उसकी जगह 30 और 45 एमजी की दवाएं मिलाकर दी जा रही हैं। केन्द्र से मनाही होने के बाद हाल में स्वास्थ्य संचालक (आईडीएसपी) राजीव दुबे ने सभी जिलों को पत्र लिखकर स्वाइन फ्लू की दवा बाजार से खरीदने के निर्देश दिए हैं। पत्र में कहा गया है कि स्वाइन फ्लू के लिए सभी जिले जरूरत के अनुसार दवाओं की खरीदी करें। इसमें बड़ी दिक्कत यह है कि बाजार में टेमी फ्लू नहीं मिल रही हैं। ऐसे में सीएमएचओ और सिविल सर्जन इसे कैसे खरीदेंगे।

विशेषज्ञों का कहना है 35 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर स्वाइन फ्लू फैलने के आसार कम रहते हैं, पर इन दिनों मौसम में कभी ठंडक तो कभी गर्मी रहती है। यह मौसम एंफ्लुएंजा के लिए बेहद अनुकूल होता है। हमीदिया अस्पताल के टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेन्द्र दवे ने बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस अब आम हो गया है। यह किसी भी सीजन में फैल सकता है। जिस जिले में मरीज मिला है, वहां व उसके आसपास के जिलों में संदिग्ध मरीजों की पहचान की जानी चाहिए। साथ ही मरीज के परिजनों की भी जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि मौसम में जब भी बदलाव आता है इस तरह की बीमारियों के फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।

दो महीने संक्रमण का खतरा ज्यादा

स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों ने बताया अगस्त और सितंबर का महीना स्वाइन फ्लू के वायरस (एच1एन1) के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इन दिनों तामपान करीब 30 डिग्री से. रहता है, जो इस वायरस की बढ़त के लिए सबसे अनुकूल है। बता दें कि भोपाल में अगस्त-सितंबर में 2009 में 4, 2010 में 124 और 2012 में 45 केस मिल चुके हैं। हालांकि, इस साल जिले में स्वाइन फ्लू का एक भी मरीज नहीं मिला है। सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि अभी तक करीब 30 नमूने जांच के लिए भेजे जा चुके हैं, पर सभी निगेटिव आए हैं।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

-सर्दी-जुकाम

-तेज बुखार

– खांसी

-कफ आना

-बदन में दर्द

-सांस में तकलीफ

पॉजीटिव आने के पहले देना होती हैं दवाएं

स्वाइनके फ्लू की मरीज की जांच के पहले ही दवाएं शुरू कर दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को बी कटेगरी में होने पर भी दवा देना जरूरी है। ऐसे में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव नहीं आने पर भी दवा की जरूरत होती है।

भोपाल में वर्षवार स्वाइन फ्लू स्थिति

साल-सैंपल-पॉजीटिव-डेथ

2014-30-0-0

2013-344-35 -9

2012-468-66-12

2011-79-3-1

2010-619-139-39

2009-78-8-0

स्वाइन फ्लू की दवाएं खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। कैमिस्ट एसोसिएशन से भी इस संबंध में चर्चा की गई है।

डॉ. पंकज शुक्ला, सीएमएचओ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *