जो कुछ न किया उसे प्रतिष्ठा मिली, जिसने काम किया, उसे देश निकाला : नीतीश

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को लेकर अपने दिल की बात सामने रखी. शुक्रवार को आद्री परिसर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कहा कि जो कुछ न करे, उसे प्रतिष्ठा मिली और जिसने काम किया, उसे देश निकाला हुआ.

लेकिन, काम होना चाहिए. मैंने कोशिश की, काम हुआ. बालिका शिक्षा, पंचायतों में महिला आरक्षण, शौचालयों का निर्माण व सशक्तीकरण की अनेक योजनाओं को लागू करने के लिए बिहार देश का रोल मॉडल बना.

आद्री सभागार में ‘वूमेन इन इनफॉर्मल इकोनॉमी : रिपोर्ट ऑफ द स्पेशल टास्क फोर्स’ पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जितना काम संभव हुआ, मैंने किया. इस प्रकार किया कि समावेशी हो और उसमें सबकी सहभागिता हो. समाज के विकास के लिए जोखिम भी उठाना पड़ता है. समाज ऐसे ही बदलता है.

इसके लिए निरंतर प्रयास जारी रखना चाहिए. आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यशाला को सेवा भारत के रेनाना झाबवाला, पूर्व आइएएस राम उपदेश सिंह, श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने संबोधित किया. कार्यशाला में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष निशा झा, श्रमायुक्त सुरेश कुमार सिन्हा मौजूद थे.

स्वयं सहायता समूह के माध्यम से छह करोड़ लोग होंगे आत्मनिर्भर : पूर्व मुख्यमंत्री ने महिलाओं में स्वयं सहायता समूह के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि अब इसका अनुकरण दूसरे राज्यों में किया जा रहा है. इसमें पांच साल में 10 लाख सदस्य बना कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जायेगा.

महिलाओं के योगदान की गणना ठीक से नहीं

नीतीश ने कहा, समाज में असंगठित महिला कामगार की भूमिका व योगदान की गणना ठीक से नहीं की जाती है. मान लिया जाता है कि उनका तो यह सब काम है. वे बच्चों के लालन-पालन से लेकर कृषि कार्य करती हैं. धान की रोपनी महिलाएं करती हैं. कल्पना कीजिए, यदि वे अपने काम बंद कर दें, तो क्या होगा? भोजन बनाने से लेकर बच्चों के लालन-पालन व घर में पोछा लगाने का काम कितना कठिन होता है, समझ आ जायेगा. महिलाओं के कामकाज व योगदान को हमेशा से नजरंदाज किया गया है. आज जागृति आयी है.

शिक्षा से संभव हो रहा जनसंख्या नियंत्रण : जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला शिक्षा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षित महिलाओं से प्रजनन दर में कमी आयी. इसके बाद ही मैंने पंचायत स्तर पर प्लस टू स्कूल खोलने का निर्णय किया. यदि जनसंख्या पर लगाम नहीं लगेगा, तो 10 साल में 25 फीसदी वृद्धि होगी.

विकास बाधित होगा. अब महिलाओं में साक्षरता देश में सबसे अधिक है. बालिका शिक्षा को लेकर मुझ पर क्या-क्या नहीं कमेंट हुए. अब तो शिक्षा का प्रतिशत लड़कों में 56 है, तो लड़कियों में 49 हो गया है.

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