GM CROP: गुजरात के हि‍ट मॉडल को सरकार ने कि‍या रि‍जेक्‍ट

नई दि‍ल्‍ली। कृषि परीक्षण के क्षेत्र में सरकार ने सुबह से शाम तक में यू-टर्न ले लिया। सुबह कृषि अनुसंधान केन्द्र में प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया लेकिन उसी दिन शाम तक मोदी सरकार में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावाडेकर ने अहम फैसला लेते हुए जीएम फसल (जेनेटिकली मोडिफाइड) के परीक्षण पर रोक लगा दी।

मोदी ने बतौर गुजरात मुख्यमंत्री सबसे पहले जीएम फसल की खेती के लि‍ए मंजूरी दी थी। राज्य में बीटी कपास की मंजूरी मि‍लने से कपास का उत्‍पादन कई गुना बढ़ गया। इसके बाद बि‍हार सरकार ने मक्‍के की जेनेटि‍क खेती की मंजूरी दी जिससे उत्पादन में इजाफा देखने को मिला। कपास के क्षेत्र में भारत इंपोर्टर से एक्‍सपोर्टर बन गया। लेकि‍न मोदी अपने ही मॉडल को देश भर में लागू नहीं कर पाए। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वि‍रोध के बाद पर्यावरण मंत्री ने जीएम फसलों के परीक्षण पर रोक लगा दी। हालांकि‍, सरकार ने कहा है कि जीएम फसलों की खेती पर सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।

मोदी ने की शुरुआत, सरकार ने कि‍या बंद

गुजरात ने साल 2002-03 में बीटी कपास को सबसे पहले देश में लागू लि‍या था। इसके बाद ही गुजरात में कपास का उत्‍पादन 175 कि‍लोग्राम प्रति‍ हेक्‍टेयर का उत्‍पादन से बढ़कर 689 कि‍लोग्राम प्रति‍ हेक्‍टेयर उत्‍पादन हो गया।

गुजरात में वर्ष 2010-11 के दौरान कुल 26.33 लाख हेक्टेयर रकबे में से 21.33 लाख हेक्टेयर में बीटी किस्म की बुवाई की गई। इस अवधि के दौरान कुल उत्पादन 105 लाख गांठ रहा।

बीटी कपास ने कि‍या कमाल

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2010-11 में कपास की बुवाई कुल 111.42 लाख हेक्टेयर रकबे में की गई।
कुल रकबा में से 90 फीसदी क्षेत्र में बीटी कपास की बुवाई की गई।
इस अवधि में बीटी कपास की बुवाई 98.54 लाख हेक्टेयर में की गई। वर्ष 2009-10 की अवधि के दौरान 110 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई की गई थी।
वर्ष 2010-11 फसल वर्ष के दौरान कपास का कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 38 फीसदी ज्यादा रहा।
वर्ष 2010-11 के दौरान देश में 334.25 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) का उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2009-10 के दौरान 242.25 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ।

क्‍या है जीएम फसल

जीएस फसल यानी जेनेटिकली मोडिफाइड फसल, इस तरह के फसलों के डीएनए में बदलाव किया जाता है जिससे फसलों की उत्‍पादन में बढ़ोतरी होती है। जेनेटिक बदलाव के जरिए फसलों के जीन्‍स में बदलाव किया जाता है, जिससे फसल में मनचाहा आकार और क्‍वालिटी दी जा सकती है। इसी तरह की फसलों में बदलाव को जेनेटिकली मोडिफाइड फसल कहा जाता है।

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