दरअसल, एनपीपीए ने 10 जुलाई को 50 दवाओं की कीमत तय की थी। प्राधिकरण डायबिटिक (चीनी की बीमारी) और दिल की बीमारियों की दवाएं प्राइस कंट्रोल के दायरे में ले आया है। विरोध की वजह सीआईआई की बायो टेक्नोलॉजी कमिटी के मुताबिक दवा की कीमत घटाने की वजह से विदेशी कंपनियों को फायदा होगा। बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि उनका विरोध दवा की कीमत तय करने को लेकर नहीं, बल्कि इसे तय करने के फॉर्मूले से है। शॉ सीआईआई की बायो टेक्नोलॉजी कमिटी की चेयरपर्सन भी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा है कि दवा की कीमतें तय करने के कदम से सेक्टर में होने वाले रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग पर निवेश घटेगा।
सस्ती दवा के फॉर्मूले को अदालत में चुनौती
नई दिल्ली (एजेंसी)। दवा कंपनियों ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के दवा की कीमत तय करने के अधिकार और उसके फॉर्मूले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। 30 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की बायो टेक्नोलॉजी कमिटी ने भी इस मामले में दखल देने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। फार्मा कंपनियों के मुताबिक एपीपीए के पास दवा की कीमत तय करने का अधिकार नहीं है।