जीएम फसलों पर ‘संघ’ का अड़ंगा

नई दिल्ली। सरकार ने जेनेटिकली मोडीफाइड (जीएम) फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल को मंगलवार यह आश्वासन दिया।

जावड़ेकर से मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण का मुद्दा उठाया। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि कथित तौर पर 15 जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दे दी गई है। इस पर मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल को रोक दिया गया है।

प्रतिनिधिमंडल के मुताबिक संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल 9 अगस्त को सौंपी रिपोर्ट में जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगाने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने भी जीएम फसलों के निहित खतरों के बारे में आगाह किया है।

प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि मानव स्वास्थ्य और मिट्टी पर जीएम फसलों के प्रभाव के उचित वैज्ञानिक मूल्यांकन के बगैर जीएम फसलों को अनुमति देना ठीक नहीं है क्योंकि इसमें जो विदेशी जीन है वह बेहद खतरनाक है। यह इतना खतरनाक है कि एक बार अगर जीएम फसलें बोई जाती हैं तो उसके बाद आप दूसरी फसल नहीं लगा सकते।

प्रतिनिधिमंडल ने यह दलील भी दी कि ऐसा भी कोई वैज्ञानिक अध्ययन मौजूद नहीं है जिससे पता चल सके कि जीएम फसलों से उत्पादन बढ़ेगा।

स्वदेशी जागरण मंच ने मंत्री से कहा कि सरकार को निहित स्वार्थों वाले समूहों की पक्षपाती रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं करना चाहिए और जीएम खाद्य फसलों के संभावित खतरे की जांच करनी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह मुद्दा देश की खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए सरकार को इस पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

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