1 स्कूल, 2 शिक्षक और 3 विद्यार्थी

कोरबा। पुनर्वास ग्राम वैशालीनगर में संचालित प्राथमिक शाला में अध्ययरत महज तीन बच्चों के लिए दो शिक्षाकर्मी पदस्थ हैं। इसमें भी कभी एक बच्चा ही पढ़ने आता है, तो कभी एक भी नहीं। ऐसे में दोनों शिक्षाकर्मी यहां हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। दूसरी ओर जिले में 236 स्कूल ऐसे हैं, जहां पांच कक्षाओं के लिए केवल एक शिक्षक ही पदस्थ हैं।

यह माजरा कुसमुंडा के ग्राम वैशालीनगर का है। यहां सत्र्‌ 2013-14 में प्राथमिक शाला का शुभारंभ किया गया। यह स्कूल पूर्व में सर्वमंगला कनकी मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत पाली (पड़निया) के आश्रित व एसईसीएल विस्थापित ग्राम बरकुटा में संचालित था। खदान क्षेत्र में आने के बाद स्कूल को कोरबा-कुसमुंडा मार्ग पर स्थित पुनर्वास ग्राम वैशालीनगर में स्थानांतरित कर दिया गया। पहले वर्ष में केवल 5 बच्चों ने दाखिला लिया। इनमें कक्षा पहली में एक छात्र, तीसरी व चौथी में एक-एक छात्रा व कक्षा पांचवी में एक छात्र और एक छात्रा अध्ययनरत थे। इनके लिए दो शिक्षाकर्मी पिᆬरोज खान व बिंदु कंवर को नियुक्त किया गया। कक्षा पांचवीं से छात्र-छात्रा के पास होने के बाद अब यहां मात्र तीन बच्चे ही रह गए हैं। आश्चर्य की नए शैक्षणिक सत्र में एक भी नए बच्चे ने दाखिला नहीं लिया। अब यहां अध्ययरत तीन में से दो बच्चे अक्सर अनुपस्थित रहते हैं उसमें भी कई बार यह स्थिति निर्मित हो जाती है कि कोई भी बच्चा स्कूल नहीं आता और शिक्षाकर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।

जिले के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों के सेटअप पर गौर करें, तो 30 बच्चों पर 1 शिक्षक नियुक्त होना चाहिए। जबकि यहां महज तीन बच्चों के लिए दो शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति कर दी गई है। इसके विपरीत जिले में ऐसे 236 स्कूल हैं, जहां की शिक्षा व्यवस्था मात्र एक शिक्षक के भरोसे है।

विकासनगर में 149 बच्चों पर एक शिक्षक

वैशालीनगर से करीब एक किलोमीटर दूर प्राथमिक शाला विकासनगर में 149 बच्चों के लिए मात्र एक शिक्षक ही है। 1983 से शुरू इस स्कूल भवन का निर्माण 1982 में एसईसीएल ने कराया था। यहां पदस्थ शिक्षक राजेश राठौर ने बताया कि भवन के 6 में से मात्र दो कमरों में कक्षाएं लगाई जाती है। शेष 4 कमरें जर्जर हैं। दो साल पहले प्रार्थना के दौरान सीलिंग का प्लास्टर गिरने से नीचे खड़े बच्चे बाल-बाल बचे थे। इसकी जानकारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी कटघोरा, एसईसीएल प्रबंधन व कलेक्टर को किया गया लेकिन किसी ने सुध नहीं लिया।

12 सौ पद रिक्त

जिले में 2136 प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल संचालित हैं, जहां 2 लाख 15 हजार 630 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों के 1199 पद अब भी खाली हैं। नए सेट अप के अनुसार इतने बच्चों के लिए कम से कम 5 हजार 390 शिक्षकों की पदस्थापना की जानी चाहिए। आदिवासी विकास विभाग से प्राप्त ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में 3 हजार 383 शिक्षक शिक्षिकाएं कार्यरत हैं, ऐसे में 1199 पद अब भी रिक्त हैं।

शिक्षकों की स्थिति

ब्लॉक स्वीकृत पदस्थ रिक्त

कोरबा 1051 728 323

करतला 979 583 396

कटघोरा 626 403 223

align="justify"> पाली 904 714 190

पोड़ी-उपरोड़ा 1022 955 67

कुल 4582 3383 1199

एकल शिक्षकीय स्कूल

ब्लॉक स्कूलों की संख्या

पोड़ी-उपरोड़ा 39

कोरबा 31

पाली 52

करतला 73

कटघोरा 41

हो सकता है कि पुनर्वास ग्राम होने के कारण नए जगह पर लगाए जा रहे स्कूल में बच्चे नहीं आ रहे। वैशालीनगर से लगे विकासनगर प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर होने की शिकायत मिली थी, जहां बच्चे ज्यादा और शिक्षक कम हैं। विकासनगर से बच्चों को वैशालीनगर शिफ्ट कर समस्या का हल निकाला जा सकता है। इस संबंध में जानकारी ली जाएगी, व्यवस्था ठीक करने हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

– रीना बाबासाहेब कंगाले, कलेक्टर

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