बारिश ने एक तरफ किसानों की चिंता तो कुछ हद तक टाल दी लेकिन आम लोगों पर इसका असर साफ पड़ रहा है। सब्जियों की महंगाई से पहले ही लोग त्रस्त हैं, ऐसे में अभी की बारिश से इनके सड़ने का खतरा बढ़ गया है। इससे कीमतों में और इजाफा होने का अंदेशा है। छत्तीसगढ़ में अब तक हुई बारिश खेती के लिए पर्याप्त है। बुआई का काम लगभग पूरा हो गया है। 20-25 दिन बाद बियासी की जाएगी।
तब तक खेतों को पानी की जरूरत नहीं है। क्योंकि, लगभग खेतों में पानी भरा हुआ है। बियासी के बाद फसल पकने तक सामान्य बारिश की जरूरत पड़ेगी। औसत से 80-90 फीसदी बारिश होती रही, तो भी फसल के लिए पानी की कमी नहीं होगी।
गंगरेल बस भरने के करीब
गंगरेल बांध की जलभराव क्षमता 32.150 टीएमसी है। रविवार शाम 7 बजे तक यहां 26.570 टीएमसी पानी भर चुका है। बांध में 1755 क्यूसेक पानी की आवक हो रही है। मुरूमसिल्ली में 2.400, दुधावा में 4.750 तथा सोंढूर में 4.690 टीएमसी पानी भर चुका है। महासमुंद जिले का सबसे बड़ा बांध कोडार जलाशय अभी भी पानी की कमी से जूझ रहा है। यहां 70 फीसदी पानी का भराव हुआ है। रायगढ़ में केलो डेम में अभी 40 फीसदी पानी भरा हुआ। नहर का काम पूरा नहीं होने से दो दिन पहले तक बांध के गेट खुले हुए थे। गरियाबंद के सीकासेर डैम 75 फीसदी भरा है। यहां चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। साथ ही सात मेगावाट बिजली पैद हो रही है।
खेती की कहां-कैसी स्थिति
धमतरी : जिले में अब तक 70 फीसदी बोनी हुई है। खेतों में बारिश का पानी भरे रहने से बोनी का कार्य रुका हुआ है।
महरामुंद: बोनी का काम सौ फीसदी पूरा, लेकिन रोपाई अभी 50 फीसदी बाकी है। खेत लबालब भरे हैं। पानी निकालने का रास्ता नहीं होने से धान की खेती प्रभावित होने लगी है।
बिलासपुर: 50 फीसदी से कुछ अधिक में बुआई। ठीक से बारिश नहीं होने से बीज अंकुरित नहीं हो सके। कृषि विभाग को आशंका है कि जिले में धान उत्पादन 25 फीसदी तक प्रभावित हो सकता है।
रायगढ़: अब तक केवल 55 फीसदी के आसपास ही बुआई। खेतों में पानी भरे होने से िकसानी का आगे का काम अटका।
राजनांदगांव : जिले में अब तक 60 फीसदी बोनी हो चुकी है।
और बारिश हुई तो सब्जियों की फसल तैयार होने में होगी देर
> धान की खेती के लायक अच्छीबारिश हो चुकी है। किसान कहीं पर धान की रोपाई कर रहे हैं तो कहीं पर बियासी में व्यस्त हैं। बारिश होगी तो इसमें व्यवधान होगा।
> जहां सोयाबीन की बुआई 20-25 दिन हो चुकी है, वहां किसान अब खरपतवार नाशक का छिड़काव करेंगे, ऐसे में बारिश का थमना जरूरी है, अन्यथा दवा धुल जाएगी।
> सब्जियों बारिश के कारण गलने लगी हैं। धूप निकलेगी, तभी फसलों की सेहत सुधरेगी।
> सब्जियों की नई फसल की तैयारी के लिए किसानों ने नर्सरी डाल दी है, लेकिन बारिश से नर्सरी गलने की शिकायत आई। उन्हें नई नर्सरी के लिए थोड़ा सूखा मौसम चाहिए।
अब तक इतनी बारिश
प्रदेश में एक जून से 27 जुलाई तक 456 मिलीमीटर बारिश हो गई है। जून से जुलाई तक औसत बारिश 508 मिलीमीटर है। यानी इस महीने 90 फीसदी बारिश हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में जून से सितंबर तक 1147मिलीमीटर बारिश होती है। इसी रफ्तार से बारिश हुई तो इस सीजन में 1032 मिमी बारिश होगी।
और बढ़ेंगे सब्जियों के दाम
थोक कारोबारियों के अनुसार लगातार हो रही बारिश से सब्जियों के सड़ने का खतरा बढ़ गया है। इसका असर राजधानी में सब्जियों की आवक पर पड़ेगा। सब्जियों के दाम वैसे भी बढ़े हुए हैं। बाहर से आने वाले टमाटर, शिमला मिर्च, फूल गोभी जैसी सब्जियां और महंगी हो सकती है। थोक सब्जी कारोबारियों के अनुसार इस मौसम में सड़ने का खतरा भी बढ़ गया है। यही वजह है कि आने वाले दिनों में सब्जियां और महंगी हो सकती है।
(फोटो- जिले के आमाबेड़ा इलाके में तेज बारिश से उफन रही पहाड़ी नदी दो दिन पहले छोटा राजपुर के पुल से लगी एप्रोच रोड को ही बहा ले गई। 20 लाख रुपए से ज्यादा की लागत से दो साल पहले ही रोड और पुलिया बनी थी। रविवार को ग्रामीणों ने किसी तरह इसे चलने लायक बनाया। )