किताबों की जगह हाथ में झाड़ू, बेटियों को करनी पड़ती है सफाई

सीकर. शिक्षा विभाग की डाइस डाटा रिपोर्ट में सरकारी शिक्षा के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले 100 स्टूडेंट्स में से केवल 27 ही 12वीं की पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। बाकी 73 स्टूडेंट्स बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है सीनियर सैकंडरी स्कूलों और शिक्षकों की कमी। राजस्थान में पहली से पांचवीं कक्षा तक ड्रॉपआउट रेट पड़ोसी राज्यों की तुलना में सर्वाधिक 33.22 फीसदी है। 10वीं कक्षा से 12वीं में जाने वालों की ट्रांजिशन रेट 48.94 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत दर से 10 फीसदी तक कम है। गुजरात हिमाचल प्रदेश में ड्रापआउट रेट काफी कम हैं। यहां सिर्फ पांच फीसदी बच्चे ही ड्रापआउट होते हैं। सीकर में भी हर साल ढाई लाख स्टूडेंट्स 12वीं से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।

सरकारी स्कूलों का सच बताते आंकड़े : 9177में से 4900 ग्राम पंचायतों में सीनियर स्कूल नहीं हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक ड्रॉपआउट रेट 33.22 प्रतिशत है। 10वीं से 12वीं तक की ट्रांजिशन रेट सिर्फ 48.94 है।

10,300 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे : प्रदेशमें 10 हजार 300 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल सिर्फ एक ही टीचर के भरोसे हैं। इन स्कूलों में चार लाख 35 हजार 376 स्टूडेंट्स हैं। सीकर में ऐसे स्कूल 316 हैं, यहां 3912 स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं।

सीकर में 2173 स्कूलों में सफाईकर्मी नहीं : जिलेके 2173 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में सफाई कर्मचारी नहीं हैं। इन स्कूलों में बच्चे ही झाड़ू लगाते हैं। हालांकि कुछ स्कूलों में शिक्षक भी झाड़ू लगाने सहित शौचालय सफाई का काम देखते हैं।

1500 स्कूलों में पेयजल के इंतजाम नहीं :जिलेके 1500 स्कूलों में पेयजल के इंतजाम नहीं है। बच्चे दूर-दराज से पानी लाते हैं। कुछ तो अपने घर से ही पानी की बोतलें लेकर रहे हैं।

राजकीय प्राथमिक स्कूल धमकाली जोहड़ी में पानी के बंदोबस्त नहीं हैं। स्कूल के विद्यार्थी कुछ दूरी पर स्थित टंकी से पानी लेकर आए। दूसरी तस्वीर यहां और हैरान करने वाले थी। शिक्षकों के लिए ठंडा पानी समाज कल्याण के होस्टल के फ्रिज से मंगवाया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *