सरकारी स्कूलों का सच बताते आंकड़े : 9177में से 4900 ग्राम पंचायतों में सीनियर स्कूल नहीं हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक ड्रॉपआउट रेट 33.22 प्रतिशत है। 10वीं से 12वीं तक की ट्रांजिशन रेट सिर्फ 48.94 है।
10,300 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे : प्रदेशमें 10 हजार 300 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल सिर्फ एक ही टीचर के भरोसे हैं। इन स्कूलों में चार लाख 35 हजार 376 स्टूडेंट्स हैं। सीकर में ऐसे स्कूल 316 हैं, यहां 3912 स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं।
सीकर में 2173 स्कूलों में सफाईकर्मी नहीं : जिलेके 2173 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में सफाई कर्मचारी नहीं हैं। इन स्कूलों में बच्चे ही झाड़ू लगाते हैं। हालांकि कुछ स्कूलों में शिक्षक भी झाड़ू लगाने सहित शौचालय सफाई का काम देखते हैं।
1500 स्कूलों में पेयजल के इंतजाम नहीं :जिलेके 1500 स्कूलों में पेयजल के इंतजाम नहीं है। बच्चे दूर-दराज से पानी लाते हैं। कुछ तो अपने घर से ही पानी की बोतलें लेकर रहे हैं।
राजकीय प्राथमिक स्कूल धमकाली जोहड़ी में पानी के बंदोबस्त नहीं हैं। स्कूल के विद्यार्थी कुछ दूरी पर स्थित टंकी से पानी लेकर आए। दूसरी तस्वीर यहां और हैरान करने वाले थी। शिक्षकों के लिए ठंडा पानी समाज कल्याण के होस्टल के फ्रिज से मंगवाया गया।