यही नहीं, आपको जानकर हैरत होगी कि राजधानी की एक 213 साल की महिला को भी अधिकारियों ने साइकिल बांटी है। खास बात यह है कि 114 साल की जिन महिलाओं को विभाग साइकिल बांटने का दावा कर रहा है, उनके स्थायी और स्थानीय पते की कोई जानकारी नहीं दी गई है। मामले का खुलासा होने के बाद विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार श्रम विभाग ने सितंबर 2013 से पहले मुख्यमंत्री साइकिल सहायता योजना के तहत राजधानी के 4936 महिलाओं को साइकिल बांटी। विभाग ने 6500 रुपए में एक साइकिल की खरीदी की थी। आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार साइकिल खरीदी में भी बड़ी गड़बड़ी हुई है। विभाग ने एक ऐसी संस्था से खरीदी की है जिसके टिन नंबर में गड़बड़ी है।
आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत विभाग ने 2000 पेज की जानकारी दी थी। इसमें किसी भी हितग्राही की उम्र का विवरण नहीं दिया गया था। बाद में विभाग से जब मामले की सीडी की मांग की गई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। सीडी में हितग्राहियों की उम्र जानकारी दी गई है। विभाग ने एक परिवार के दो-दो सदस्यों को भी साइकिल बांटी है।
सितंबर 2013 के बाद से साइकिल बांटने की योजना बंद कर दी गई है। अब हितग्राहियों को नकद भुगतान किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ कर्मकार मंडल सिर्फ आवंटन का काम करता है। अगर किसी प्रकार की गड़बड़ी है तो सहायक मे आयुक्त से जानकारी ली जा सकती है। साइकिल बांटने का रिकार्ड जिलास्तर पर रखा जाता है। -सविता मिश्रा, सचिव, छत्तीसगढ़ कर्मकार मंडल
इस मामले में अभी कुछ भी जानकारी नहीं दे पाऊंगा। दस्तावेजों को देखने के बाद ही कोई जानकारी दी जा सकती है। -एसएस पैकरा, सहायक श्रम आयुक्त, रायपुर