इन कर्मचारियों से योजनाओं के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपए करने के लिए भी कहा गया है। संगठन ने अपने कार्यालय आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा है कि दोनों निर्णय के संदर्भ में गजट में अधिसूचना जल्द जारी किए जाने की संभावना है।
बजट में की गई थी व्यवस्था
वित्त वर्ष 2014-15 के बजट भाषण में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने घोषणा की थी कि संगठित क्षेत्र में अधिकत 6,500 रपए मासिक वेतन पाने वालों की जगह 15,000 रुपए तक के वेतन वाले कर्मचारी भी ईपीएफओ द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आएंगे। इसके साथ ही कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस-95) के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रपए कर दी गई है।
पेंशन का हिसाब ऐसे
कार्यालय आदेश के अनुसार पेंशन की गणना के लिए कर्मचारी पेंशन फंड की सदस्यता छोड़ने से ठीक पहले के 60 महीने के मासिक वेतन के औसत को आधार बनाया जाएगा। ईपीएस-95 योजना के तहत अंशधारक 58 साल की उम्र तक इसका सदस्य रह सकता है। नई व्यवस्था के तहत पेंशन योग्य वेतन का आकलन समानुपातिक आधार पर किया जाएगा। इसके तहत अधिसूचना की तरीख तक 6,500 रपए की सीमा और उसके बाद 15,000 रपए की सीमा पर आधारित की जाएगी।
उच्च मूल वेतन पर योगदान
कार्यालय आदेश में कर्मचारियों से निर्धारित मूल वेतन सीमा के बजाए उच्च मूल वेतन पर योगदान के लिए ताजा विकल्प प्राप्त करने के लिए कहा गया है। फिलहाल कुछ कर्मचारी 6,500 रुपए प्रति माह के मुकाबले ज्यादा मूल वेतन पा रहे हैं और उन्होंने उच्च मूल वेतन पर योगदान का विकल्प अपनाया हुआ है। जिन सदस्यों ने उच्च योगदान का विकल्प नहीं अपनाया है, उनका नए वेतन सीमा के आधार पर किए गए योगदान को घोषित ब्याज दर के साथ उनके पीएफ खाते में भेज दिया जाएगा।
28 लाख लोगों को फायदा
ईपीएफओ के आदेश में यह भी कहा गया है कि सदस्यों, विधवाओं (नामित) और निर्भर माता-पिता को न्यूननतम पेंशन 1,000 रुपए मिलेगा और इसी के अनुसार बच्चे और अनाथ के लिए पेंशन आनुपातिक रूप से क्रमशः 250 रुपए और 750 रुपए मिलेंगे। ईपीएफओ के अनुमान के अनुसार वेतन सीमा बढ़ाए जाने से 50 लाख कर्मचारी संगठन की सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में आ जाएंगे। 1,000 रुपए मासिक पेंशन किए जाने से 5 लाख विधवाओं समेत 28 लाख पेंशनभोगियों को तत्काल फायदा होगा।