यह आपकी सरकार का पहला बजट था। जनता ने भारी-भरकम जनादेश देकर आपको यह मौका दिया। पिछले शासन से अलग हटकर आपने जनता से बदलाव और बिना किसी खैरात के विकास करने का वादा किया था। वित्त मंत्री जी क्या हुआ इन वादों का?
तीस सालों में पहली बार आपकी पार्टी पूरी तरह से बहुमत में आई। यह राष्ट्र बखूबी जानता है कि पिछली सरकार ने अपने शासन में क्या किया है? अब इस देश को किसी भी तरह के चमत्कार की उम्मीद नहीं थी। फिर भी जब प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर भविष्य यानी अच्छे दिनों के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने पड़ंगे और इसके लिए आवाम को तैयार रहना चाहिए। इस पर भी बिना किसी शिकायत के आवाम आपके कड़े फैसलों के लिए तैयार हो गई। लेकिन लगता है वित्त मंत्री जी आप तैयार नहीं थे। लिहाजा, आपने जो बजट पेश किया वह बहुत ही निराश करने वाला है। यह बजट ठीक नई बोतल में पुरानी शराब जैसा था। पुरानी योजनाओं को ही आपने अदल-बदल कर अपने बजट में शामिल किया। आपने इस चीज को छुपाने की भी कोशिश की थी लेकिन यह छुप न सकी।
आपने हमें आयकर की जो रियायतें दी हैं उससे भी हमें कोई खुशी नहीं हो रही है। आपने बजट में जिन 100 करोड़ वाली उनतीस योजनाओं की घोषणा की है यह भी हमारे दिलों में भविष्य के लिए किसी भी तरह उम्मीद की किरण नहीं जगा रही। आप इसमें एक और योजना जोड़ सकते थे ( याद कीजिए इस देश ने एक पार्टी को पूर्ण सत्ता देने के लिए कितने वर्ष लिए) श्रीपद मिश्र को कुछ अतिरिक्त धन देते ताकि वे गोवा के समुद्री किनारों पर बिकनी पहनकर घूमने वाली लड़कियों को रोक सकते।
हम जानते हैं कि आपके हाथों में बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आपसे लोगों को एक संतुलित बजट की आशा थी। इस बजट में आपको लोगों की उम्मीदों के साथ देश के खराब आर्थिक व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने की योजना पेश करनी चाहिए थी। आपने बजट में राजकोषीय घाटा, पिछले एक दशक से धीमी विकास दर, बेकाबू महंगाई, खराब मानसून और कुछ ही महीनों बाद आने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों जैसी चुनौतियों से जूझने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया। जबकि हमने आपको पूरा बहुमत दिया ताकि आप कड़े फैसले लेते और आर्थिक व्यवस्था को बेहतर करते। मंत्री जी बहुत लोगों की तरह मेरा बेटा भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है, मैं चाहता हूं कि जब वह कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद बाहर आए तो उसे तुरंत जॉब मिले। अगर आप देश की बेहतरी के लिए सरकारी कर्मचारियों के सातवें वेतन आयोग को टाल देते तो भी मैं आपकी तारीफ करता। मैं यह जानते हुए कह रहा हूं कि अगर आप ऐसा करते तो मैं भी इस वेतन आयोग के लाभ से वंचित हो जाता। मंत्री जी आप बेहतरी के लिए पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की सैलरी और सुविधाएं को भी पांच साल के लिए कम कर सकते थे। क्योंकि देश में करीबनदो करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारी जबरदस्त सुविधाओं का भोग कर रहे हैं। मैं उम्मीद कर रहा था कि आप उन 100 करोड़ के बारे में भी सोचेंगे जिनके परिवार से कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है और जो तमाम दुखों को झेल कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
मैं उम्मीद कर रहा था कि आप योजना आयोग और उनके वोट रिझाने वाली योजनाओं को बंद कर देते या ऐसी योजनाओं को इतिहास के कूड़ेदान में फेक देते। आपको एक साफ सुथरी व्यवस्था शुरू करनी चाहिए थी, जिससे कि आपके बजट में 100 करोड़ वाली 30 योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता।
मैं इस बात को लेकर आश्वस्त था कि एयर एंडिया का पूरी तरीके से निजीकरण कर दिया जाएगा साथ ही मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन को बंद कर दिया जाएगा। वित्त मंत्री जी लगता है आप सहयोगी गणपति राजू के काम को लकेर कुछ ज्यादा ही चिंतित थे। जिस तरह से आपके एक और जाने-माने सहयोगी सदानंद गौड़ा ने हमें रेलवे बजट से निराश किया उसी तरह आपने हमें बजट में उठाए गए कदमों से काफी निराश किया है। वित्त मंत्री जी देश में बुलेट ट्रेन की मांग नहीं थी। यदि रेलवे से यात्रा के दौरान कुछ ज्यादा घंटे लग भी जाएं तो कोई हर्ज नहीं था। वैसे भी लोगों के पास काफी समय है क्योंकि रोजगार तो है ही नहीं।
वित्त मंत्री जी हम हर दो दिन पटरी से उतर जाने वाली ट्रेन की समस्या से निजात चाहते थे।सुरक्षित और बिना देरी के ट्रेन अपने गंतव्य पर पहुंचे बस इतनी सी ही हमारी इच्छा थी।
रेलवे ट्रैक और सिग्नल सिस्टम खराब होने पर आपने रेल किराए को बढ़ाए। देश इसके लिए भी तैयार था। देश बुलेट ट्रेन का तोहफा नहीं चाहता था। न ही हम 200 करोड़ रुपए की सरदार पटेल की मूर्ति चाहते थे। मंत्री जी मेरा बस इतना सवाल है कि पीएम मोदी के कहने पर अंबानी जी ने देश के लिए इस मूर्ति की राशि क्यों नहीं दान में दे दी। सरकार के खर्च करने की क्या जरूरत थी। आप अपने एकाउटेंट से पूछिए इन पैसों से कितने शौचालयों का निर्माण हो सकता था।
आपने बहुत ही चतुराई से सब्सिडी के सवाल को टाल दिया यह कहते हुए कि यह निर्णय खर्च सुधार आयोग लेगा। जबकि इस संबंध में निर्णय आप भी ले सकते थे। पिछली सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यूरिया, खाद्य और पेट्रोलियम उत्पादों पर कुल 255516 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी थी। आप तो उनसे भी दो कदम आगे बढ़ गए। आपने पिछली सरकार के मुकाबले 5000 करोड़ रुपए ज्यादा सब्सिडी खर्च करने का निर्णय लिया है। बजट के तहत आपने खाद्य सब्सिडी के लिए 23000 करोड़ रुपए और यूरिया की सब्सिडी में 5000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की है। जबकि पेट्रोलियम उत्पादों में सब्सिडी को घटाकर 22000 करोड़ खर्च करने का निर्णय लिया है।
शायद आपने सोचा कि यूरिया की सब्सिडी न देने से महाराष्ट्र और हरियाणा के किसान आपसे नाराज हो जाएंगे। इसी तरह आपने यह भी सोचा कि अगर आप फूड सब्सिडी का प्रावधान नहींकरतेतो झारखंड में भी आपको राजनीतिक नुकसान होगा। क्योंकि इन राज्यों में इस वर्ष से पूर्व विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
अगर आप उक्त तीन उत्पादों से सब्सिडी हटा देते और अपने आधार से जुड़े खातों ( मुझे बड़ी खुशी हुई कि आपने इसे बंद नहीं किया) का प्रयोग बीपीएल आबादी ( जो कि हमें बताया गया है कि कुल जनसंख्या का 36 फीसदी है) को सब्सिडी के बराबर सीधे कैश ट्रांसफर करते। फिर शायद यह आबादी आपकी पार्टी को फिर से बड़े तादाद में वोट करती। वहीं अगर आप सौ करोड़ वाली अपनी कई योजनाओं के बजाए कुछ अलग करेंगे तभी गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाली आबादी भी आपको वोट करेंगी।
वित्त मंत्री जी मुझे विश्वास है कि आपको यह मालूम है कि भारत में 593732 गांव हैं और इनमें 32227 गांव बिना बिजली के हैं। मैं सोच रहा था कि आप सारी सब्सिडी एक बार में ही खत्म कर देंगे। इससे कमोडिटी की कीमतें जरूर बढ़ जाती लेकिन यह दूरगामी फायदा इन गांवों को जरूर मिल जाता। आपको फैसले लेने में थोड़ी हिम्मत दिखानी चाहिए थी। इससे दूसरे बजट के समय 593732 में प्रत्येक गांवों के भीतर प्राइमरी स्कूल, शौचालय, पीने का पानी और हर क्लास में कंप्यूटर के साथ बिजली की व्यवस्था हो सकती थी। मंत्री जी इतना ही नहीं कम से कम हर स्कूल में एक प्रशिक्षित शिक्षक होता और मिड डे मील में सख्ती बरती जाती ताकि सारण की दर्दनाक घटना फिर न घटती। हर गांवों में हेल्थ सेंटर, डॉक्टर की सलाह पर मुफ्त दवाओ के काउंटर भी स्थापित हो सकते थे।
हां, वित्त मंत्री जी अगर आप यह वादे करते तो पूरा देश आपकी पार्टी को फिर से वोट करता। लेकिन जिस तरह से आपने बजट पेश किया है उससे मैं तय नहीं कर पा रहा कि यह देश आपको दोबारा वोट करेगा। क्योंकि मेरा बच्चा जब कॉलेज से बाहर आएगा तो वह संभव है कि उसके पास रोजगार न रह जाए। यदि भारत के युवाओं के लिए रोजगार नहीं पैदा होंगे तो आपकी पार्टी के लिए सुनामी तय है। क्योंकि युवाओं ने आपको इसी आशा और सोच के साथ वोट देकर सत्ता की कमान सौंपी है।
बजट पेश करते हुए आप लोगों ने थिरवल्लूर और हैमलेट के उद्धरण दिए थे। आपको कबीरदास की इन पंक्तियों को भी याद करना चाहिए –
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होएगी, बहुरि करैगा कब।
यह लेखक के अपने निजी विचार हैं। लेखक अर्थशास्त्र विषय के जानकार हैं।