भारतीय विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि भारत में फसल में कमी की संभावना के चलते थाईलैंड को इसके अनाज का बेहतर कीमत मिल सकता है। थाईलैंड के नए सैन्य शासक अब तक अपने अनाज को भारी छूट के साथ बिक्री कर रहे थे। वियतनाम के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण पूर्व यिंगलक शिनवात्रा सरकार चावल की बिक्री कम दर पर कर रही थी। थाईलैंड अगस्त के महीने में पांच से छह लाख टन चावल के निर्यात की योजना बना रहा है।
यह है स्थिति?
भारत ने थाईलैंड को दो वर्ष पहले चावल निर्यात के मामले में पीछे छोड़कर शीर्ष स्थान हासिल किया था।
इस बार खराब मानसून सीजन (जून से सितंबर) के चलते भारत के चावल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ना है। इससे निर्यात में भारी कमी हो सकती है।
पट्टाभी एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर बीवी कृष्णा राव ने कहा कि थाईलैंड की आक्रामक बिक्री के चलते भारत निर्यात के मामले में पिछड़ गया है।
जून के तिमाही में भारत ने दस लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले निर्यात में तीस फीसदी की गिरावट हुई है।
31 मार्च को साल के आखिरी में भारत ने कुल 1.86 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था।
2014- 15 में चावल निर्यात में 80 मिलियन की कमी आ सकती है।