30 हजार मेगावाट क्षमता के दो दर्जन से अधिक बिजली संयंत्रों में कोयले का गंभीर संकट है वहीं सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों के पास 3.9 करोड़ टन स्टॉक पड़ा हुआ है। पिछले दिनों कोयला मंत्री पीयूष गोयल की कोयला खनन करने वाली कंपनियों के साथ हुई बैठक में ये तथ्य सामने आए।
सूत्रों के मुताबिक कंपनियों के इस रवैये से झल्लाए गोयल ने इस साल सितंबर तक स्टॉक खत्म करने के लिए कोल कंपनियों को एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गोयल ने निर्देश दिया कि सभी सहायक कंपनियों में स्टॉक न्यूनतम होना चाहिए, जो सामान्यतौर पर 15 दिन के उत्पादन के बराबर होता है। हाल में आई सीईए की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि 46 कोयला आधारित बिजली घरों में सात दिन से कम के स्टॉक हैं।
दरअसल, गोयल ने जून 2015 तक कोयल कंपनियों को 15 करोड़ टन उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य दिया है। उन्होंने सीआईएल और उसकी सभी सहायक कंपनियों को लक्ष्य को हासिल करने के लिए तुरंत एक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया।
अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि अगर उत्पादन में इस स्तर की तेजी लाई जाती है तो साथ-साथ स्टॉक खाली करने की सुविधाओं में भी तेजी लानी होगी। इसके साथ ही ताप बिजली इकाइयों को कोयले की आपूर्ति तुरंत सामान्य बनाने के लिए मंत्रालय ने ई-नीलामी की सीमा आधा करने का प्रस्ताव दिया है।
गोयल ने कंपनियों को कोयले की ई-नीलामी 2.5 से तीन करोड़ टन करने का निर्देश दिया, जिससे इस मोड के जरिए कोयले की बिक्री में 50 फीसदी की कमी आएगी।
मंत्री ने कहा कि यह कटौती उचित कारणों के साथ की जाएगी, जिससे कि वास्तविक उपभोक्ताओं तक कोयला पहुंच सके। मंत्री ने यह भी कहा कि मंत्रालय इस बारे में प्रशासनिक आदेश जारी करेगा।
क्योंकि राष्ट्रीय कोयला वितरण नीति के तहत उत्पादन का करीब 10 फीसदी कोयला ई-नीलामी के जरिए बेचना होता है। गोयल ने सीआईएल से उत्पादन बेहतर बनाने के लिए हर सहायक कंपनी से हिसाब से विस्तृत एक्शन प्लान देने को कहा है।
उन्होंने इसमें आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की संभावना के बारे में भी बताने और वास्तविक जरूरत जानने के लिए मांग-आपूर्ति में अंतर का मूल्यांकन करने का भी निर्देश दिया।