हर 3 में से 2 स्‍कूली बच्चों का यौन उत्‍पीड़न, यूपी में 21 फीसदी पीड़ि‍त 15 से कम उम्र की

नई दिल्ली. बेंगलुरु में 6 साल की बच्‍ची का स्‍कूल में यौन उत्‍पीड़न किए जाने का मामला सामने आने के बाद उबाल आया हुआ है। लेकिन, हकीकत यह है कि हर तीन में से दो स्कूली बच्चे यौन हिंसा का सामना करते हैं।

महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय का आंकड़ा चौंकाता है-
महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हर तीन में से दो स्कूली बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं। यूनीसेफ की मदद से किए गए इस अध्ययन में पता चला है कि 5 से 15 साल के बच्चों के साथ इस तरह के मामले ज्यादा होते हैं। 70 फीसदी मामलों में अधिकांश बच्चों ने अपने माता-पिता को इस बारे में सूचना नहीं देते हैं।

माता-पिता को क्या करना चाहिए-

तीन से चार साल तक बच्चे को सिर्फ माता-पिता और दादा-दादी की निगरानी में ही रखना चाहिए। किसी अनजान के साथ बाहर नहीं जाने देना चाहिए।
बच्चों के साथ उनके स्कूल, दोस्तों और उनकी क्लास को लेकर बातचीत करनी चाहिए।
अधिकांश मामलों में बच्‍चों को शिकार बनाने वालों में उनके करीबी ही होते हैं। ये स्कूल बस का ड्राइवर, कंडक्टर, टीचर या स्कूल का कोई स्टॉफ हो सकता है। इनसे बचने के लिए बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे इस बात की पहचान कैसे कर सकें कि कोई उन्‍हें गलत इरादे से छू रहा है।
सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा देना चाहिए।
अगर बच्चा रोजमर्रा की दिनचर्या का पालन नहीं कर रहा है, स्कूल जाने से मना कर रहा है और किसी से भी मिल नहीं रहा है तो बच्चे को विश्‍वास में लेकर उससे इसकी वजह जानने की कोशिश करनी चाहिए। अधिकांश मामलों में बच्चे वहां जाने से डरते हैं जहां उनके साथ गलत व्यवहार हुआ हो।
बच्चों को बताना चाहिए कि वो ऐसे मामलों की तुरंत शिकायत करें।


क्यों नहीं बता पाते हैं बच्‍चे-
दिल्‍ली के मूलचंद अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ जितेंद्र नागपाल के मुताबिक कई बार बच्‍चे समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा है। अगर वह समझते भी हैं तो डांट पड़ने के डर से माता-पिता से इस बारे में बात नहीं करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *