वर्तमान में आलम ये है कि ज्यादातर मामलों में महिलाएं (सास) अपनी बहुओं से प्रताड़ित रहती हैं। जबकि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि वह इसकी शिकायत कर सकें।
वर्तमान कानून के प्रावधानों के मुताबिक महिलाएं उन पुरुषों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती हैं, जिनके साथ वे रह रही हैं या पहले एक ही छत के नीचे रह चुकी हैं। यानी इस कानून में महिलाओं के खिलाफ केस चलानेे की अनुमति नहीं है।
मेनका गांधी के करीबी सूत्रों की मानें तो मंत्रालय के पास ऐसी कई शिकायतें आईं हैं जिनमें वृद्ध महिलाओं ने अपनी बहुओं से प्रताड़ित होकर न्याय की मांग की है। ऐसे ज्यादातर मामलों संपत्ति और निजी कारणो के हैं। उनका मानना है कि सभी महिलाएं की रक्षा की जाए, चाहे फिर उनके आपसी संबंध कैसी भी हों।
यदि घरेलू हिंसा कानून में बदलाव किया जाता है तो ऐसी कई सास हैं जो अपनी बहुओं से प्रताड़ित रहती हैं उनके भी अधिकारों की सुरक्षा की जा सकेगी। साथ ही ऐसी बहुएं जिन्हें दहेज मामलों के कानून को सख्त बनाया जा सकता है।
हालांकि कानून विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को महिलाओं के प्रति अगर आरोपी बनाया जाता है तो घरेलू हिंसा कानून का मतलब नहीं रहेगा।