गांव के सरकारी भवनों में भी लगेगा वाटर हार्वेस्टिंग

कोरबा (निप्र)। भूमिगत जल स्त्रोतों के घटते लेवल को संतुलित करने शुरू किए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के चलन की तैयारी अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी की जाने लगी है। सरकारी भवनों, नगर निगम क्षेत्र के निजी मकानों व आवासीय परियोजनाओं में इसकी अनिवार्यता पहले से ही लागू है। अब वाटर हार्वेस्टिंग पिटों का बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्र के भवनों में निर्माण कराए जाने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इसे अपनी कार्ययोजना में शामिल किया है।

साल-दर-साल अंडरग्राउंड होते जा रहे ग्राउंड वाटर को बचाने की कवायद तेज करते हुए शासन द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग पिटों के निर्माण को विभिन्न क्षेत्रों में अनिवार्य किया जा रहा है। कलेक्टोरेट से लेकर विभिन्न जिला मुख्यालयों, सरकारी आवासों, अफसरों के बंग्लों व अन्य कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जाने चार साल पहले ही शासन ने निर्देश जारी कर दिए थे। इसके अलावा गृह निर्माण मंडल की आवासीय परियोजनाओं सहित नगर निगम की कॉलोनियों में भी वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण कराए जाने नक्शों में भी अलग से चिन्हित करने का नियम भी निर्धारित है। इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय भवनों, ग्राम पंचायत भवन, स्कूल एवं आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों में भी व्यापक पैमाने में वाटर हार्वेस्टिंग पिट के निर्माण पर बल देते हुए नई योजना तैयार की गई है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इस वर्ष के अपने कार्ययोजना में वाटर हार्वेस्टिंग पिटों के निर्माण को विशेष तौर पर स्थान देते हुए प्रस्ताव तैयार किए हैं।

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एक पिट के लिए 25 हजार

ग्रामीण मुख्यालयों में बनाए जाने वाले ज्यादातर भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग का ध्यान नहीं रखा जाता। शासकीय स्कूल भवन, आंगनबाड़ी केंद्र व अन्य विभागीय कार्यालयों के भवन निर्माण में भी पिट का निर्माण नहीं कराया जाता है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 58 लाख की लागत से बनाए जा रहे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के हाइ स्कूल भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग का विकल्प नहीं दिया गया है। इस योजना के तहत पीएचई ने सत्र 2014-15 तक जिले के पांचों विकासखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 235 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रति पिट शासन से 25 हजार सहित कुल 58 लाख 75 हजार की राशि मंजूर की गई है।

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इस गर्मी में 30 फीट गिरा पानी

गर्मी आते ही खासकर पहाड़ी गांवों में वाटर लेवल में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की जाती है। सबसे ज्यादा प्रभावित पोड़ी-उपरोड़ा है, जहां के करीब 14 गांवों में भू-जल स्तर में अपेक्षा से ज्यादा कमी देखी गई। साल-दर-साल गिरावट का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। बीती गर्मियों की बात करें, तो औसत आंकड़ों को पीछे छोड़ते हुए इस बार भूमिगत जल में करीब 30 फीट की गिरावट दर्ज की गई थी, जो सामान्य से 10 फीट ज्यादा था। इस समस्या के मद्देनजर बीते वर्ष 19 गांवों में प्रयोग के तौर पर पिट बनाए गए थे। इनमें कटघोरा ब्लॉक के ग्राम बोतली, भिलाईबाजार, जवाली, रंजना, सलोरा, कोरबा के कुदमुरा, बासीबार, बतरा, लिटियाखार, मदनपुर, पाली के मुनगाडीह, मुरली, पोड़ी, रैनपुरखुर्द, सिरली, तिवरता, जटगा, कोनकोना शामिल हैं।

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निर्माण एजेंसियां बेपरवाह

शहरी क्षेत्रमें किए जा रहे विभिन्न निर्माण कार्यों में नियमों के बावजूद वाटर हार्वेस्टिंग पिट बनाए जाने कड़ाई नहीं दिखाई जा रही है। चाहे नगर निगम की बात करें या गृह निर्माण मंडल की आवासीय परियोजनाओं की, दोनों ही एजेंसियों की नई कॉलानियों से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नदारद हैं। इसका नियम निजी मकानों व कॉलोनाइजर्स के लिए भी अनिवार्य है। भवन हो या कॉलोनी, वाटर हार्वेस्टिंग पिट के लिए जगह दिखाने के बाद ही नक्शे को पास किए जाने का नियम है। बावजूद इसे नक्शे पास हो रहे हैं और मकान बगैर पिट के ही धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। केवल पंडित रविशंकर शुक्ल नगर पर गौर करें, तो एक हजार मकानों की कॉलोनी में एक भी वाटर हार्वेस्टिंग दिखाई नहीं दिेया।

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317 नक्शे पास, 36 ने बनाए पिट

वर्ष 2009 में नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक 150 वर्ग मीटर से अधिक दायरे में किए जाने वाले भवन निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित किया जाना अनिवार्य है। भवन निर्माण से पूर्व प्रशासन से पास होने वाले नक्शे में वाटर हार्वेस्टिंग की स्थिति दर्शाए बगैर नक्शा पास नहीं किया जा सकता। इस ध्यान में रखकर पिछले दो वर्षों में नगर निगम से भवन निर्माण के लिए 317 से ज्यादा लोगों को अनुमति दी गई है। इनमें से मात्र 36 निर्माणों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। 280 मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनाया गया है। इसी तरह गृह निर्माण मंडल की आधा दर्जन कॉलानियों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को पूरी तरह दरकिनार करते हुए निर्माण किया जा रहा है।

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साल-दर-साल भूमिगत जल के लेवल में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। भविष्य को देखते हुए स्त्रोतों को सहेजने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर इस वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में 235 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कार्ययोजना में शामिल किया गया है। प्रत्येक पिट के निर्माण में 25 हजार की लागत खर्च की जाएगी।

– एमके मिश्रा, ईई, पीएचई

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