राज्य के सरकारी स्कूलों की इस हालत को देखते हुए अब सरकार कम बच्चों वाले स्कूलों का एकीकरण कर रही है और सरकार के इस निर्णय से सरकारी स्कूल शिक्षकों में बेचैनी है।
दरअसल राजस्थान में सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर एक किलोमीटर पर प्राथमिक स्कूल खोल दिए गए। प्रदेश में 49 हजार 961 सरकारी प्राथमिक स्कूल हैं। सरकार ने बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद सरकारी स्कूल खोले। समानीकरण और एकीकरण की बात सरकार करती रही, लेकिन सरकारी कर्मचारियों में शिक्षकों का सबसे बड़ा वर्ग होने के कारण इनकी नाराजगी के डर से किसी भी सरकार ने यह काम नहीं किया। दूसरी तरफ, एक ही स्थान पर जमे रहने के लालच में शिक्षक भी नामांकन के फर्जी आंकडे भेजते रहे।
हाल में अधिकारियों ने जब दो संभागों भरतपुर और बीकानेर का दौरा किया, तब उन्हें सरकारी स्कूलों की असलियत दिखी, जिसके बाद वास्तविक आंकड़े जुटाए गए। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद जानकारी मिली कि बच्चों व शिक्षकों की संख्या में कितना अंतर है।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बजट भाषण में भी इस स्थिति का जिक्र किया है। अब सरकार इन स्कूलों का एकीकरण कर रही है। इसके तहत कम बच्चों वाले स्कूल पास के दूसरे सरकारी स्कूल में समाहित कर दिए जाएंगे। सरकार के इस निर्णय से शिक्षकों में खासी बेचैनी है, क्योंकि एकीकरण के कारण सालों से एक ही स्थान पर जमे शिक्षकों को जाना होगा। यही कारण है कि इसका विरोध भी शुरू हो गया है।
शिक्षकों का तर्क है कि सरकार को यह काम करना था तो सत्र आरम्भ होने से पहले करना चाहिए था। अब सत्र के बीच में यह काम करने से पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाएगा, उधर सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि इस बार सरकार एकीकरण को लेकर गम्भीर है और यह जरूरी भी हो गया है।