दिल्ली में बलात्कार. लूटपाट और डकैती जैसे गंभीर अपराध तेजी से बढ़ रहे है और रोजाना औसतन पांच से अधिक बलात्कार की घटनाएं और 15 लूटपाट के मामले सामने आ रहे हैं। राजधानी में गंभीर अपराधों के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष पहले छह माह के दौरान बलात्कार की 984 घटनाएं हुई। लूटपाट की घटनाएं पिछले पूरे साल की तुलना में दुगनी से अधिक और डकैतियों का आंकड़ा भी गत वर्ष से ऊपर निकल गया।
आंकड़ों के आधार पर पिछले साल दिल्ली में बलात्कार के कुल 1636 मामले सामने आए जबकि इस वर्ष पहले छह माह में यह संख्या 984 पर पहुंच गई। वर्ष 2010 में बलात्कार के 507, 2011 में 572 और 2012 में 706 घटनाएं हुई थी।
पहले छह माह के दौरान एक तरफ जहां बलात्कार की घटनाएं में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई, वहीं इनको हल करने की रफ्तार सुस्त पड़ गई। इस वर्ष पहले छह माह के दौरान कुल बलात्कार के मामलों में से 66.67 प्रतिशत में ही पुलिस दोषियों का पता लगा पाई जबकि पिछले वर्ष 90 प्रतिशत बलात्कार के मामले सुलझाए गए थे।
लूटपाट की घटनाओं में दिल्ली ने पिछले साल को बहुत पीछे छोड़ दिया है। इस वर्ष पहले छह माह में रोजाना औसतन 15 मामले लूटपाट के हुए जून अंत तक 2678 लूटपाट के मामले सामने आए जबकि 2013 में कुल 1245 लूटपाट की घटनाएं हुई थी। लूटपाट के मामलों का समाधान ढूंढ़ने में भी पुलिस काफी पीछे रही है। पिछले साल लूटपाट के 74.46 प्रतिशत मामलों का पता लगा लिया गया था जबकि इस वर्ष यह प्रतिशत 49.63 ही रहा है।
दिल्ली में इस वर्ष जून तक डकैती के 44 मामले सामने आए और इसमें से 79.55 प्रतिशत की तह तक पुलिस पहुंची। गत वर्ष डकैती के कुल 33 मामले हुए थे और इनमें से 78.79 प्रतिशत का पता लगाने में पुलिस कामयाब रही थी। फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। वर्ष 2010 में इस श्रेणी में कुल 18 मामले दर्ज हुए थे जबकि यह संख्या 2013 में 30 पर पहुंच गई और इस साल जून तक 15 घटनाएं सामने आ चुकी है। इस वर्ष पुलिस फिरौती के 64.71 प्रतिशत मामलों की तह तक पहुंचने में सफल रही है।
इस वर्ष जून तक हत्या के 277 मामलों में से पुलिस ने 74.73 का पता लगाया। हत्या के प्रयास के 328 में से 82.62 प्रतिशत और दंगों की 68 घटनाओं में से 64.71 प्रतिशत में सफलता पुलिस के हाथ लगी। आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों की तुलना में राजधानी में गंभीर किस्म के अपराधों की संख्या में इस वर्ष तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2010 के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास, लूटपाट, दंगों, फिरौती के लिए अपहरण और बलात्कार के कुल 2085 मामले सामने आए थे और इसमें से 86.86 प्रतिशत को सुलझाया गया।
वर्ष 2011 में गंभीर किस्म के मामलों को सुलझाने में पुलिस को सर्वाधिक सफलता हाथ लगी और कुल 2171 में से 91.99 प्रतिशत की तह तक पहुंचा गया। वर्ष 2012 में 2402 मामलों में से 89.47 प्रतिशत को सुलझाया गया। पिछले साल 4159 मामलों मेंसे 83.51 प्रतिशत को और इस वर्ष जून तक 4394 मामलों में से केवल 60.42 प्रतिशत ही सुलझाने में पुलिस को सफलता हाथ लगी है।
स्नैचिंग, चोट पहुंचाना, वाहन की चोरी और धोखाधड़ी जैसे गैर गंभीर तरीके से अपराधों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है और पुलिस को इनको सुलझाने में भी विशेष सफलता हाथ नहीं लगी है। पिछले साल आईपीसी के तहत गैर गंभीर अपराधों का आंकडा 76025 रहा था और इसमें से 46.81 प्रतिशत सुलझाये गए थे। इस वर्ष के पहले छह माह में 67129 अपराधों में से पुलिस केवल 26.43 प्रतिशत की ही तह तक पहुंच पाई है।